टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित दो से छह वर्ष तक के बच्चों में कृत्रिम पैंक्रियाज के जरिये शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। शोध के लिए इस उपकरण को वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के सेंटर फार डायबिटीज टेक्नोलाजीज में बनाया गया है। अध्ययन का निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ता इसे सभी आयुवर्ग के टाइप-1 डायबिटीज पीड़ितों के लिए एक संभावना के रूप में देख रहे हैं।
क्लीनिकल परीक्षण् में दो से छह वर्ष तक के 102 बच्चों को शामिल किया गया और उन पर 13 सप्ताह तक निगरानी की गई। परीक्षण के दौरान कृत्रिम पैंक्रियाज (अग्न्याशय) का उपयोग करने वाले प्रतिभागियों ने ऐसे प्रतिभागियों की तुलना में शुगर को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन तीन घंटे और बिताए, जो पहले से शुगर प्रबंधन का तरीका अपना रहे थे। कंट्रोल-आइक्यू सिस्टम से संचालित इस उपकरण को टेंडम डायबिटीज केयर ने बनाया है, जो ब्लड शुगर को स्वत: नियंत्रित करता है। इस उपकरण में एक इंसुलिन पंप होता है जो मरीजों में आवश्यकतानुसार इंसुलिन का स्राव करता रहता है।
हाल के दो पूर्व अध्ययनों के आधार पर अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा छह और उससे अधिक उम्र के टाइप-1 डायबिटीज पीड़तों के इलाज के लिए इस सिस्टम को मंजूरी दी गई है। हाल में यूवीए-2022 के इनोवेटर आफ द ईयर से सम्मानित व यूवीए स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ता मार्क डी ब्रेटन ने कहा कि छह और उससे अधिक उम्र के लोगों में कंट्रोल-आइक्यू टेक्नोलाजी की सफलता के बाद अब उससे कम उम्र के पीड़ितों के लिए भी यह उपयोगी साबित हो रहा है। यह भविष्य में सभी आयुवर्ग के टाइप-1 डायबिटीज पीड़ितों के लिए लाभकारी हो सकता है।