हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। यह हमें तनाव के सिवा और कुछ नहीं दे सकता। हिंसा का असर हमारे स्वास्थ्य पर सीधा पड़ता है। एक वैश्विक अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ताजा शोध में दावा किया गया है कि एक शांतिपूर्ण देश की अपेक्षा एक हिंसाग्रस्त देश में युवाओं की जीवन प्रत्याशा यानी जीने की दर 14 वर्ष कम हो जाती है।
ब्रिटेन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में हिंसा और जीवन की अनिश्चतता के बीच सीधा संबंध बताया है। अध्ययन का निष्कर्ष साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा कि हिंसाग्रस्त देश और शांतपूर्ण देश में रहने वाले युवाओं के जीवन दर में लगभग 14 वर्ष का अंतराल पाया गया। कम हिंसाग्रस्त और अधिक हिंसाग्रस्त देशों की जीवन प्रत्याशा में 10 वर्ष का अंतर हो सकता है।
आक्सफोर्ड लीवरहल्म सेंटर फार डेमोग्राफिक साइंस से जुड़े व शोध का नेतृत्व करने वाले लेखक मैनुअल एबर्टो ने बताया कि अध्ययन के लिए 2008 से 2017 के बीच 162 देशों का मृत्युदर का डाटा जुटाकर विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि जो देश जितना अधिक हिंसाग्रस्त थे वहां जीवन की दर उसी अनुपात में कम थी। मध्य-पूर्व के देशों में संघर्ष के चलते युवाओं की मृत्युदर अधिक पाई गाई। इसी तरह लैटिन अमेरिकी देशों में जनसंहार का समान पैटर्न पाया गया।