दरांग। असम में हुई हिंसा में 12 साल का बच्चा भी अपनी जान गवां बैठा। वह अपनी जिंदगी का पहला पहचान पत्र लेने के लिए घर से पोस्ट ऑफिस के लिए निकला था। आधार कार्ड मिलने की खुशी इतनी थी कि सुबह-सुबह ही घर छोड़ दिया था। पोस्ट ऑफिस पहुंचा। जिंदगी का पहला पहचान पत्र तो मिला, लेकिन उसकी जिंदगी ही खत्म हो गई। शाम को जब उसका मृत शरीर घर पहुंचा तो उसकी जेब से वही आधार कार्ड मिला। दरअसल, असम के दरांग जिले में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी। इसमें से एक 12 साल का बच्चा फरीद भी था। फरीद के पिता का कहना है कि वह काफी खुश था क्योंकि उसे पहला पहचान पत्र मिलने जा रहा था। बता दें, 12 वर्षीय फरीद भी उस इलाके में रहता था जहां सरकार की ओर से अतिक्रमण अभियान चलाया जा रहा था। फरीद के परिवार का कहना है कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई भी नोटिस नहीं मिला था।
जेब में मिला आधार कार्ड, पिता बोले-पता नहीं क्यों मार दिया
फरीद के पिता खलीक अली का कहना है कि मेरे बेटे का शव शाम को घर पहुंचा। उसकी जेब में आधार कार्ड भी मिला है। पता नहीं उसे क्यों गोली मार दी गई। उसे दाहिनी छाती में गोली मारी गई थी।