झांसी में आप हाईवे पर सफर कर रहे हैं तो जरा सावधान होकर चलिए। यहां अचानक डाकू आकर आपका रास्ता रोक सकते हैं। आप पर बंदूक भी तानी जा सकती है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है। ये आपको लूटेंगे नहीं, बल्कि आपसे दान मांगेंगे। यह बुंदेलखंड की प्राचीन परंपरा है, जिसे आज भी खुशनुमा मिजाज और मनोरंजन के साथ निभाया जा रहा है। मान्यता है कि ऐसा खुद के अंदर से रावण, डाकू और राक्षस जैसे शैतानों को अपने निकालने के लिए किया जाता है।
झांसी जिले के एरच में 10 दिन तक रामलीला और रावण वध का कार्यक्रम चलता है। इस दौरान डाकुओं का भेष रखकर कुछ लोग राहगीरों से दान मांगते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले फूलन देवी के गुरु बाबा मुस्तकीम रावण वध मेले के समय इसी परंपरा को निभाते थे। वे अपनी पूरी टीम को डाकुओं की वेशभूषा में तैयार करते थे और फिर लोगों से इसी अंदाज में दान मांगते थे। वहीं स्थानीय लोग बताते हैं कि झांसी का एरच थाना क्षेत्र बेतवा नदी के किनारे बसा है। यहां के आस पास कई बड़े डाकुओं के गैंग रहे हैं।
अब इस क्षेत्र में कोई भी डकैत नहीं है। ऐसे में इस परंपरा को निभाकर लोगों का मनोरंजन किया जाता है। साथी लोग भी इस प्रथा को निभाने में भरपूर सहयोग करते हैं, लेकिन इस प्रथा से अनभिज्ञ कुछ अनजान लोग डर जाते हैं। तो कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि जब यह डाकू किसी राहगीर को फिल्माना अंदाज में रोकते हैं तो वह बड़े ही खुश होते हैं और खुशी-खुशी कुछ रुपए निकाल कर इनको दे देते हैं। बहरहाल यह परंपरा गांव वासियों के द्वारा मनोरंजन मात्र हेतु निभाई जाती है।