पटना । बिहार कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर रहते भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को शपथ ग्रहण के तीसरे दिन और विभागीय कार्यभार संभालने के एक घंटे बाद ही इस्तीफा देना पड़ा है। चौधरी पर आरोप हैं कि उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति पद पर रहते हुए सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की थी। इस मामले को लेकर विपक्ष उन पर हमलावर हो गया था। वहीं पत्नी नीता चौधरी की मौत के मामले में हत्या का भी नया आरोप लगाया जा रहा था। मेवालाल ने गुरुवार को दोपहर एक बजे श्ािक्षा विभाग का पदभार संभालने के बाद सभी आरोपों को निराधार बताया था। हालांकि पद संभालने के करीब घंटे भर बाद ही उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया। सीएम ने इस्तीफा राज्यपाल के पास भेज दिया। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को शिक्षा विभाग का प्रभार दे दिया।
मेरे ऊपर कोई चार्जशीट नहीं : मेवालाल
नियुक्ति घोटाले के घिरे मेवालाल चौधरी ने गुरुवार पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मेरे ऊपर लगे आरोप विरोधियों की साजिश हैं। मेरे ऊपर कोई चार्जशीट नहीं है। पत्नी नीता चौधरी की मौत से जुड़े सवाल पर मेवालाल ने कहा कि पत्नी की मौत के लिए मुझे जिम्मेदार बताने वालों पर मानहानि का मुकदमा करेंगे। मेरे खिलाफ कोई तथ्य नहीं है।
2017 में दर्ज किया गया था मामला :
मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा सीट से जदयू के टिकट पर दूसरी बार जीते मेवालाल चौधरी को पहली बार नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। राजनीति में आने से पहले 2015 तक वह बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति थे। 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए। इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए। लेकिन चुनाव जीतने के बाद मेवालाल चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित हो गए। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में 2017 में दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।
2012 का है मामला :
मामला 2012 का है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 161 सहायक प्राध्यापको की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आया था। तब मेवालाल चौधरी कुलपति पद पर कार्यरत थे। आरोप है कि उन्होंने योग्य अभ्यर्थियों को नजरअंदाज कर अयोग्य की भर्ती कर ली थी। भर्ती प्रक्रिया में भारी धांधली हुई थी। यहां तक कि वैसे अभ्यर्थियों को भी नौकरी दे दी गई धी, जो राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी पास नहीं थे। जांच में नियमों की अवहेलना के आरोप सही पाए गए थे।
सही पाए गए थे आरोप :
मेवालाल पर लगे नियुक्ति घोटाले का पर्दाफाश सूचना के अधिकार के आवेदन से हुआ था। अभ्यर्थियों ने ही मेधा सूची निकालकर उनके कारनामों की शीकायत की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी गुहार लगाई थी, जिसके बाद मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्कालीन राज्यपाल एवं कुलाधिपति रामनाथ कोविंद से रिपोर्ट मांगी गई थी। राज्यपाल ने भी जांच में आरोपों को सही पाया था।
राजनीति में सक्रिय थीं पत्नी :
मेवालाल चौधरी की पत्नी स्व. नीता चौधरी राजनीति में काफी सक्रिय रही थीं। वह जदयू के मुंगेर प्रमंडल की सचेतक भी थीं। 2010-15 में तारापुर से विधायक चुनी गईं थी। 2019 में घर में गैस सिलेंडर से लगी आग में झुलसने से उनकी मौत हो गई थी। एक पूर्व आइपीएस अधिकारी ने मेवालाल की पत्नी की मौत के मामले में उनसे पूछताछ की मांग की है।