सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह बात सही है कि बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को विलुप्त करने का षड़यंत्र हो रहा है। आदिम जनजाति समुदाय की भी यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि 1951 की जनगणना तक जनगणना प्रपत्र में आदिवासी कोड था, लेकिन 1961 की जनगणना से इसे हटा दिया गया। आदिवासी समुदाय की आबादी भी लगातार घटती रही। अभी तक सरकारों ने सही तरीके से इस समुदाय के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई है। उन्होंने कहा कि जिस समय जनगण्ाना का कार्य होता है उस समय आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते हैं, जिससे उनकी गणना सही से नहीं हो पाती। उनके अनुसार, इस समुदाय की संख्या कम होने का एक बड़ा कारण इनमें बौद्धिक विकास का नहीं होना तथा गरीबी भी है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की संख्या घटने के कारण जनगणना में सरना धर्म कोड लागू होने से आदिवासियों की सही संख्या का अनुमान लगाया जा सकेगा। साथ ही पांचवीं अनुसूची के तहत इन्हें कई संवैधानिक अधिकार मिल जाएंगे। इसके अच्छे परिण्ााम सामने आएंगे।