देश में असमानता का स्तर थोड़ा कम हुआ है। असमानता कम करने की दिशा में प्रतिबद्धता को लेकर वैश्विक स्तर पर जारी सीआरआईआई रैंकिग में भारत की स्थिति सुधरी है। भारत की रैंकिग छह स्थान सुधरकर 123 रही है। सीआरआईआई 2022 में कोरोना महामारी के दो वर्षों के दौरान असमानता को कम करने की दिशा में 161 देशों की सरकारों की नीतियों और प्रयासों का विश्लेषण किया गया है।
आक्सफैम इंटरनेशनल और डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल द्वारा तैयार सीआरआइआइ रैंकिग में नार्वे को पहले, जर्मनी को दूसरे और आस्ट्रेलिया को तीसरे स्थान पर रखा गया है। 2020 में 12 स्थान की छलांग लगाकर भारत 129वें स्थान पर पहुंचा था। इस बार रैंकिग में छह स्थान का सुधार आया है। कराधान की प्रगतिशील व्यवस्था के मामले में भारत की रैंकिग तीन स्थान सुधरकर 16 हो गई है। असमानता को कम करने में सरकारी खर्च के प्रभाव के मामले में भारत की स्थिति में 27 स्थानों का और कर के प्रभाव के मामले में 33 स्थानों का सुधार दिखा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च के मामले में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है। दो स्थान गिरकर इस बार रैंकिग 157वीं रही है यानी भारत इस मामले में पांचवां सबसे खराब स्थिति वाला देश है।
भारत में सरकार के कुल खर्च में स्वास्थ्य पर खर्च की हिस्सेदारी मात्र 3.64 प्रतिश्ात है, जो ब्रिक्स देशों में सबसे कम है। चीन और रूस का स्वास्थ्य खर्च 10 प्रतिशत, ब्राजील का 7.7 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका का 12.9 प्रतिशत है। सूची में 12 ऐसे देश हैं, जहां कोई तय न्यूनतम वेतन नहीं पाया गया है। 2020 में भारत को भी ऐसे देशों में शामिल कर लिया गया था। वेतन के मामले में असंगठित क्षेत्र के बहुत से कामगारों की स्थिति बहुत खराब है।