सुविचार, (प्रीति शुक्ला)। हमारी भाषा हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है। हमारी भाषा से हमारे संस्कारो एवं परवरिश का पता चलता है। किसी भी व्यक्ति से हम किस तरह बात करते हैं, उसी से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आप किस तरह के परिवार से संबंधित हैं। इसलिये ये अति आवश्यक है कि हम अपनी भाषा में सम्मान एवं शब्दों का सही चुनाव करें।
सबसे पहले तो चाहे कोई आपसे बड़ा जो या छोटा उससे ससम्मान बात करें क्योंकि इज्जत देने से ही इज्जत मिलती है।
दूसरा हमें अपनी भाषा का संयम बनाये रखना चाहिए। चाहे कोई बात नहीं पसंद आई हो पर उसका विरोध सयंमित शब्दों में करना चाहिए।
तीसरा अगर सामने वाला अपनी मर्यादा भूल भी जाए तो हमे उसके स्तर पे गिर कर अपनी अच्छाई नहीं भूलनी चाहिए। क्योंकी जैसे उसकी भाषा उसके व्यक्तित्व का दर्पण है वैसे ही आपकी भाषा आपके संयम एवं समझदारी का आइना है।