कृषि मंत्री ने कहा- 8 में से 6 पर सहमति; किसान बोले- मुख्य मांगें तो शामिल ही नहीं
रायपुर। पिछले 50 दिनों से नवा रायपुर में धरने पर बैठे किसानों की मांगों पर सरकार थोड़ा सा झुकी है। रविवार को सरकार के दो मंत्री रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर मीडिया के सामने आए। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, तीन दौर की बैठकों के बाद किसानों की 8 में से 6 मांगों पर सहमति बन गई है। इधर किसानों के संगठन ने इसे धोखा बताया। उनका कहना था कि उनकी मुख्य मांग तो सहमति के बिंदुओं में शामिल ही नहीं है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, किसान प्रतिनिधियों से हुई सार्थक चर्चा के बाद नई राजधानी परियोजना क्षेत्र में जहां ग्रामीण बसाहट है, वहां आवासीय पट्टा दिए जाने की सहमति बनी है। इसके अलावा आॅडिट कंडिकाओं के निदान, प्राधिकरण की निविदा सेवाओं में 60% कर्मचारी प्रभावित गांवों के लिए जाने की सहमति बनी है। उन्होंने बताया, विस्थापित एवं भूमिहीन को पट्टा दिए जाने, नई राजधानी परियोजना क्षेत्र अंतर्गत रोजगार एवं व्यवसाय के लिए निर्मित परिसंपत्ति का आवंटन लागत मूल्य पर लॉटरी के माध्यम से करने पर सहमति बन गई है। इसमें 7 दुकान, 4 हॉल, 12 गुमटी और 71 चबूतरा शामिल है। इसके साथ ही 27 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए अनापत्ति लेने से मुक्त किए जाने पर भी सहमति बन गई है। रविंद्र चौबे ने कहा, प्रभावित किसानों की शेष दो मांगों पर कानूनी राय के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने किसान कल्याण समिति से आंदोलन समाप्त किए जाने की अपील की है। इधर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होती वे आंदोलन वापस नहीं लेने वाले।
मंत्री के बयान पर भड़के किसान, बताया धोखा
कृषि मंत्री के ऐसे बयान की जानकारी के बाद आंदोलन स्थल पर किसान भड़क उठे हैं। नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने कहा, सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। जिन बिंदुओं पर सहमति की बात मंत्री कर रहे हैं वह तो सशक्त समिति की 12वीं बैठक में ही तय हुआ था। मुख्य मांगों पर तो ये बात ही नहीं कर रहे हैं। हमारी मांग है कि जिन किसानों की जमीन ली गई है उन किसानों को पुनर्वास का पैकेज दिया जाए। जिन किसानों ने मुआवजा ले लिया है उनको वार्षिकी राशि 15 हजार रुपया एकड़ की दर से दी जाए। इसमें हर साल 750 रुपया की बढ़ोतरी होती जाए। आगे भी जिनकी जमीन लेनी है उसमें कानून का पालन हो और 27 गांवों में नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना तत्काल रद्द की जाए।