चारा घोटाला दोषी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की होली जेल में ही मनेगी। उनकी जमानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लोअर कोर्ट से रिकार्ड मंगाने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि अगर सीबीआई लालू की जमानत याचिका पर जवाब देना चाहती है तो कोर्ट में दाखिल कर सकती है। अब इस मामले की अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी।
चारा घोटाले को इसे पशुपालन घोटाला कहा जाना चाहिए, क्योंकि मामला सिर्फ़ चारे का नहीं है। सारा घपला बिहार सरकार के ख़ज़ाने से ग़लत ढंग से पैसे निकालने का है। कई वर्षों में करोड़ों की रक़म पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली है। जांच के बाद पता चला कि ये सिलसिला वर्षों से चल रहा था। शुरुआत छोटे-मोटे मामलों से हुई लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक जा पहुंची।
मामला एक-दो करोड़ से शुरू होकर अब 900 करोड़ तक जा पहुंचा है और कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि घपला कितनी रक़म का है, क्योंकि यह वर्षों से होता रहा है और बिहार में हिसाब रखने में भी भारी गड़बड़ियां हुई हैं।