नरक चतुर्दशी दीपावली के पांच दिनों में से दुसरे दिन मनाया जाता है,इसे नरक से मुक्ति पाने वाला त्यौहार कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता हैं। इसे रूप चौदस एवम छोटी दिवाली भी कहते हैं ।
यह पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन मनाया जाता हैं । इसे नरक मुक्ति का त्यौहार माना जाता हैं। यह पर्व 4 नवंबर के दिन मनाया जायेगा, इस दिन अभ्यंग स्नान मुहूर्त 05:03 से 06:38 तक है, जो कुल समय 1 घंटा 35 मिनट का रहेगा।
क्या करें इस दिन?
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व होता हैं। इस दिन स्नान करते वक्त तिल एवम तेल से नहाया जाता है, इसके साथ नहाने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करते हैं ।
इस शरीर पर चंदन लेप लगाकर स्नान किया जाता हैं एवम भगवान कृष्ण की उपासना की जाती हैं । रात्रि के समय घर की दहलीज पर दीप लगाये जाते हैं एवम यमराज की पूजा भी की जाती हैं । इस दिन हनुमान जी की अर्चना भी की जाती हैं।
एक मान्यता हैं कि इस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन हनुमान जी ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था । इस प्रकार इस दिन दुखों एवम कष्टों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की भक्ति की जाती हैं, जिसमे कई लोग हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक जैसे पाठ करते हैं । कहते हैं कि इस दिन हनुमान जयंती होती हैं । यह उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता हैं । इस प्रकार देश में दो बार हनुमान जयंती का अवसर मनाया जाता हैं। एक बार चैत्र की पूर्णिमा और दूसरी बार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन।