रायपुर। अवैध रेत उत्खनन को लेकर ठेकेदार व उसके कर्मचारी फिर एक बार सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। काम शुरू करने से पहले ग्रामीण व कुछ लोग मान मनवौल के चक्कर में इधर-उधर घूम रहे हैं। वहीं कुछ राजनीतिक पार्टी भी रेत ठेकेदार सहयोग में नजर आ रही हंै। विदित हो कि भानुप्रतापपुर एवं दुगुर्कोंदल ब्लाक अवैध रेत उत्खनन व भण्डार के लिए कांकेर जिले में सुर्खियों में बना रहा है। इस क्षेत्र में पूरे वर्ष रेत भण्डार व अवैध उत्खनन का काम चलता रहता है। हालांकि हो हल्ला व समाचार प्रकाशन होने से कुछ दिनों विराम जरूर लग जाता है वहीं माहौल ठंडा होते देख भी रेत ठेकेदार व उनके एजेंट के द्वारा काम शुरू करने के लिए ग्रामीण व कुछ लोगों को अपने स्तर पर लालच दिखाते हुए मानने की कोशिश में लग जाते हैं।बता दें कि भानुप्रतापपुर व दुगुर्कोंदल नदी क्षेत्र के पास ही ठेकेदार के द्वारा रेत भंडारण की स्वीकृति होने की बात कहते हुए भी मात्रा से अधिक भंडारण व परिवहन का काम किया जाता रहा है। चवेला घाट व चेमल व चिहरो इसके लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र की बात करें तो यहां की रेत साफ व बारीक होने के कारण रेत की डिमांड दूर-दूर तक है। यानि प्रदेश व बाहर प्रदेश में अच्छी कीमत में आसानी से बिक जाती है। यही कारण है कि क्षेत्र से रेत परिवहन के कार्य में कई ठेकेदार काम करने के लिए लगे रहते हंै।
रेत ठेकेदार का राजनीतिक सहयोग
विदित हो कि रेत ठेकेदार को यहां राजनीतिक स्पोट व सहयोग मिलने से भी करीबी व चेहते ठेकेदारों को आसानी से काम मिल जाता है। गौरतलब हो कि भंडारण हो या फिर रेत परिवहन शासन के द्वारा रॉयल्टी निर्धारित की गई है, लेकिन ठेकेदार के द्वारा बिना रॉयल्टी व एक ही रायल्टी दस्तावेज के माध्यम से सैकड़ों ट्रिप रेत परिवहन कर शासन को मिलने वाली राशि का भी बंदरबांट किया जाता है।
जिला खनिज अधिकारी की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में
अभी तक देखा जाए तो अवैध रेत उत्खनन को लेकर ठेकेदार व उनके एजेंटों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई खनिज विभाग के द्वारा नहीं की गई है,जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवैध रेत उत्खनन के कार्य में खनिज विभाग का भी बड़ा हाथ है। जिला खनिज अधिकारी प्रमोद नायक न ही कभी फोन उठाते है ंऔर न ही अवैध रेत उत्खनन कर कार्रवाई की जाती है। विभाग का भरपूर सहयोग होने के कारण ठेकेदार अवैध रेत उत्खनन के कार्य को बेधड़क होकर अंजाम देने में लगे हुए हैं।