गर्मी के मौसम में जंगल को आग से बचाना एक बड़ी चुनौती रहती है। इसकी आड़ में हर साल लकड़ी तस्कर जंगल से पेड़ों की कटाई में जुट जाते हैं। यह अवैध कटाई कहीं दबंई से तो कहीं वन विभाग की मिलीभगत से होती है। इस काम के लिए अवैध आरा मशीनें भी लगाई जाती हैं। हालांकि धमतरी वन विभाग ने इससे निपटने का दावा करता है। इसका कारण वन विभाग सेटेलाइट अलार्म सिस्टम और फायर वॉचर से लैस है। फिर भी आगजनी को रोकने में हर साल नाकाम साबित होते है। हालांकि इस साल भी वन महकमा जंगल में आगजनी की घटनाओं को रोकने की दावे कर रहा है।
धमतरी जिला का 52 प्रतिशत घने जंगलों से ढका हुआ है। यहां बेशुमार जंगली जानवर के अलावा साल-सागौन के बेशकीमती पेड़ हैं। ओडिशा की सीमा से लगे होने के कारण यहां की ये वन संपदा तस्करों, शिकारियों और चोरों के निशाने पर रहती है। वे अक्सर जंगल में आग लगा कर लकडी की अवैध कटाई की फिराक में रहते हैं।
दूसरा बड़ा कारण महुआ के सीजन में ग्रामीण अपनी सुविधा के लिए आग लगा देते है, ताकि कचरा साफ हो सके। जब गर्मी चरम पर हो तो छोटी सी भी आग बेकाबू होने में देर नही लगती। इस कारण गर्मी के मौसम में जंगल को दावानल से बचाना वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है। सबसे महत्वपूर्ण होता है समय पर आग की सूचना मिल जाना। जबसे सेटेलाइट फायर अलार्म सिस्टम आया है, तब से वन विभाग को बड़ी राहत मिली है। वन विभाग का दावा है कि सभी 117 बीट में फायर वाचर है जैसे ही आग की सूचना मिलती है पूरी टीम हरकत में आ जाती है।