छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को इसकी घोषणा की। इसके तहत नई नियुक्तियों और पदोन्नति के लिए गठित की जाने वाली समितियों में महिला प्रतिनिधि की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
राजधानी के पुलिस परेड मैदान में ध्वजारोहण समारोह को को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना और ’पढ़ई तुंहर पारा’ योजना भी शुरू करने की घोषणा की। रायपुर नगर की प्रथम महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानि डॉ. राधाबाई के नाम पर शुरू की जा रही डायग्नोस्टिक सेंटर में रियायती दरों पर पैथोलाजी और अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगांठ पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव की गाइडलाइन का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस का संक्षिप्त और गरिमामय समारोह आयोजित किया गया। समारोह में मुख्यमंत्री बघेल ने नव गठित गोरेला-पेंड्रा- मरवाही (जीपीएम) में अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और एमपी में चार बार कैबिनेट मंत्री रहे महंत बिसाहू दास जी के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय खोलन की भी घोषणा की। यहां समुदाय की सहायता से बच्चों को पढ़ाने के लिए ’पढ़ई तुंहर पारा’ योजना शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि नगर निगमों में स्थापित 101 ’मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों’ से नागरिकों को मिली सुविधाएं उत्साहवर्धक हैं। अब घर पहुंच सेवाओं के लिए नगरीय क्षेत्रों में ’मुख्यमंत्री मितान योजना’ शुरू कर रहे हैं, जिसमें काल सेंटर में फोन करके आवेदन, दस्तावेज आदि भेजे जा सकते हैं। ऑनलाइन तथा एसएमएस अलर्ट के माध्यम से न्यूनतम खर्च पर घर बैठे कई तरह की सेवाएं दी जाएंगी। बिजली आपूर्ति तंत्र की मजबूती के लिए ‘‘मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना प्रारंभ होगी। प्रदेश में ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, चार नए उद्यानिकी कालेज और एक खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण कालेज खुलेंगे। दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने तीन विशिष्ट पालीटेक्निक कालेज भी खोले जाएंगे। राम वन गमन पर्यटन परिपथ के निर्माण के पावन कार्य में प्रदेश की जनता की सहभागिता के लिए ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मानवता सेवा की गांधीवादी सोच से हमें कोरोना संकटकाल में अर्थव्यवस्था को बचाने में सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ में हमने अपनी संस्कृति, अपने खेतों, गांवों, जंगलों, वनोपजों, प्राकृतिक संसाधनों, लोक कलाओं, परंपराओं और इन सबके बीच समन्वय से अपना रास्ता बना लिया। हमें गर्व है कि अर्थव्यवस्था का हमारा छत्तीसगढ़ी माडल संकटमोचक साबित हुआ। कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ में 26 लाख मीट्रिक टन लौह इस्पात सामग्रियों के उत्पादन और आपूर्ति से सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश को सहारा मिला है। जनकल्याणकारी कदमों के साथ कदम मिलाते हुए राज्य में औद्योगिक विकास की संभावनाओं ने कैसे आकार लिया, यह भी बताना चाहूंगा। विगत डेढ़ वर्षों में प्रदेश में 545 नए उद्योगों की स्थापना हुई जिसमें 13 हजार करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ तथा 10 हजार लोगों को रोजगार मिला।