भारत आतंकी फंडिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का केंद्र बनेगा। जल्द ही भारत में “नो मनी फार टेरर” का सचिवालय बनेगा। सचिवालय आतंकी फंडिंग की सूचनाओं का रियल टाइम आदान-प्रदान सुनिश्चित करने के साथ ही सदस्य देशों में आतंकरोधी एजेंसियों की कैपेसिटी बिल्डिग में अहम भूमिका निभाएगा। नो मनी फार टेरर” पर नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन भाषण में गृहमंत्री अमित शाह ने सभी देशों को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ फिजिकल और डिजिटल यानी सभी रूपों में लंबी लड़ाई की जरूरत बताई। सभी देशों ने इससे सहमति भी जताई।
आतंकवाद की विकरालता के प्रति आगाह करते हुए अमित शाह बोले, ” कोई भी एक देश या संगठन, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, आतंकवाद को अकेला हरा नहीं सकता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगातार इस जटिल और बार्डर लेस खतरे के खिलाफ कंधे से कंधे मिलाकर चलना होगा।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद को परास्त करने के लिए उसके फंडिंग के सभी रास्ते को बंद करना जरूरी है और भारत आतंकी फंडिंग के मनी लांड्रिग, डिजिटल फाइनेंशियल प्लेटफार्म के दुरुपयोग, हवाला समेत सभी रूपों से निपटने के लिए सभी देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमित शाह ने आतंकी फंडिग रोकने में सभी देशों के बीच सहयोग को अमलीजामा पहनाने के लिए भारत में एक सचिवालय की स्थापना का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि “नो मनी फार टेरर” का एक स्थायी सचिवालय स्थापित करने का समय आ गया है। सचिवालय आतंकवाद के खिलाफ एक प्रभावी, दीर्घकालिक और ठोस लड़ाई की रणनीति तैयार करने के साथ ही रियल टाइम सूचनाओं के आदान-प्रदान का ढांचा भी तैयार करेगा। शाह ने कहा कि फंड इकट्ठा करने से लेकर आतंकियों तक पहुंचने तक हर स्टेज पर आतंकी फंडिग पर नकेल कसनी होगा और सिर्फ वैश्विक स्तर पर स्पेसिफिक लेकिन कलेक्टिव अप्रोच से ही ऐसा संभव है।
अत्याधुनिक तकनीक का दुरुपयोग रोकने को मजबूत तंत्र विकसित करना होगा
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए शाह ने कहा कि एक व्यापक मानीटरिंग फ्रेमवर्क स्थापित करना होगा, जो सभी इंटेलिजेंस व इंवेस्टिगेशन एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग का काम करे। इसके साथ ट्रेस, टारगेट और टर्मिनेट की स्ट्रेटेजी के तहत छोटे आर्थिक अपराध से लेकर संगठित अपराध तक के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। उनके अनुसार सभी देशों में आतंकी फंडिंग के खिलाफ कानूनी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ उनमें एकरूपता भी लानी होगी और अत्याधुनिक तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना होगा।
उन्होंने कहा कि आपराधिक गतिविधियों से बनाई संपत्तियों की रिकवरी के लिए सभी देशों में कानूनी और नियामक ढांचा भी तैयार करना होगा। आइएमएफ और विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में हर साल दो से चार ट्रिलियन डालर की मनी लांड्रिग होती है और इसका एक बड़ा हिस्सा आतंकी फंडिंग में इस्तेमाल होता है। आतंकी फंडिग रोकने के लिए इसकी पहचान और जब्ती जरूरी है।