दुनिया के कुछ बड़े देशों में अंतरिक्ष पर्यटन (स्पेस टूरिज्म) का दौर आरंभ हो चुका है। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी ही धरती से स्वदेशी राकेटों के माध्यम से अपने बनाए और अन्य देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में विदा करने के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। यही नहीं, अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत होने वाली है।
यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डा. एस सोमनाथ ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) में आयोजित आठवें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) के समापन अवसर पर कही। उन्होंने बताया कि इसके लिए टूरिज्म व्हीकल का निर्माण किया जा रहा है। यह वाहन निजी कंपनियों की सहायता से बनाया जा रहा है। अंतरिक्ष में यात्रा का आनंद लेने के लिए पर्यटकों को छह करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
डा. सोमनाथ ने कहा कि भविष्य में अंतरिक्ष यान को भेजने के लिए मीथेन गैस का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नए इंजनों का निर्माण किया जा रहा है। चंद्रमा और मंगल पर भेजे जाने वाले यानों में भी मीथेन का उपयोग किया जाएगा। दरअसल, यह भविष्य का ईंधन है, जिसका इस्तेमाल कई तरह से लाभकारी रहेगा। अंतरिक्ष विज्ञान में हुए शोध मानव समाज की भलाई के लिए हैं। उन्होंने बताया कि गगन यान इसी वर्ष अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।