
नक्शे के पंगे में भारत-नेपाल के बीच तनाव व्याप्त हो गया है। इसी तनाव के बीच आज भारत ने दो टूक कहा कि नेपाल की हरकतों ने मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है और अब बातचीत के लिए सकारात्मक और अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी नेपाल सरकार की है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने कहा कि हालिया दिनों में नेपाल की वर्तमान सरकार ने राजनीतिक कारणों से एकतरफा फैसले लिए हैं जबकि भारत ने बॉर्डर विवाद को सुलझानेके लिए निरंतर वार्ता का प्रस्ताव रखा लेकिन नेपाल की संसद ने इसे अनसुना करते हुए ऐसा नक्शा पास किया जिस पर भारत को कड़ी आपत्ति है।
उधर, नेपाल के नए नक्शे पर विवाद का असर सीमावर्ती इलाकों में देखने को मिल रहा है। सीमा पर कई जगहों पर सीमांकन के लिए लगाए गए पिलर गायब होने की सूचना सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने उच्च स्तर पर साझा की है। इस पर विस्तृत रिपोर्ट एसएसबी मुख्यालय ने भी मंगाई है। नेपाल की तरफ नई सीमा चौकी (बीओपी) बनाए जाने को लेकर भी एजेंसियों ने अलर्ट किया है। सीमा पर कई जगहों पर एसएसबी ने पेट्रोलिंग बढ़ाई है। हालांकि, शीर्ष स्तर पर अधिकारी अब भी इसे बहुत तूल देने से बच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट देख रहे हैं। पहले से ही कुछ जगहों पर पिलर क्षतिग्रस्त हैं, कुछ मिसिंग हैं। एक अधिकारी ने कहा कि ये होता रहता है। जानकारी पर मेंटेनेंस कराया जाता है। सूत्रों ने बताया कि निचले सदन में बिल को पास करके नेपाल ने एक मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है, अब यह उनकी सरकार के ऊपर है कि वार्ता के लिए सकारात्मक और अनुकूल वातावरण का तैयार करें।
सोमवार को भारत सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अब चूंकि नेपाल ने ऐसी हरकत की है तो अब हालात को सामान्य करने की जिम्मेदारी भी नेपाल पर है। अब दोनों देशों के बीच आगे संबंध किस तरह बढ़ता है वह नेपाल के रुख पर निर्भर करेगा। नेपाल ने अपनी हरकतों से हालात को कठिन बना दिया है। इसके साथ ही भारत ने संकेत दिये कि वह नेपाल की हरकतों पर आंख मंद कर नहीं रहेगा।