Ekhabri विशेष। 23 सितंबर को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस/ International Day of Sign Languages के रूप में घोषित किया है। सांकेतिक भाषा (Sign Languages) के लिए विशेष दिन की घोषणा की गई ताकि इससे जुड़ी सेवाओं को जल्द मूक-बधिर लोगों तक पहुंचाया जा सके।
क्या होता है sign language
साइन लैंग्वेज का यह मतलब नहीं कि आप इशारों में बात करने के लिए किसी भी तरह के हाव-भाव या बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करें। दूसरी भाषा की तरह सांकेतिक भाषा के भी अपने व्याकरण और नियम हैं लेकिन यह लिखी नहीं जाती।
सांकेतिक भाषा विश्व के सभी बधिर व्यक्तियो के लिए एक विकासशील भाषा व बहुत ही महम्वपूर्ण व उपयोगी है जिस कारण इसे मूक-बधिर लोगों की मातृ भाषा कहा जाता है। फर्क इतना है कि विश्व के अलग-अलग देशो में ‘साइन’ के जरिये बधित व्यक्तियो को एक ही बात कहने के अलग-अलग तरीके है।
2021 की थीम
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ ने इस वर्ष 2021 में थीम रखा है – “We sign for human rights” या
“हम मानवाधिकारों के लिए हस्ताक्षर करते हैं,”
यह थीम मूक बधिर लोगों और अन्य सभी लोग जो अपने जीवन में सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हैं उनका सम्मान करने औऱ मिल जुल कर उन सभी के लिए काम करने को प्रेरित करता है।
इस दिन की महत्ता
यह दिन सभी बधिर लोगों और अन्य सांकेतिक भाषा का उपयोग करने वाले लोगों की पहचान और उनकी सांस्कृतिक विविधता का समर्थन करने व रक्षा करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य कारण और इतिहास
23 सिंतबर 1951 को विश्व मूक फेडरेशन की स्थापना हुई थी और स्थापना के कई वर्षों बाद इस फेडरेशन ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष इस दिवस को मनाये जाने की मांग की तब इन प्रयासों के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर 2018 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी तब से इसी दिन ही इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेजइज मनाया जाता है।
– पूनम ऋतु सेन