
मोदी सरकार स्कील डेवलपमेंट, र्स्टाटअप और मेक इन इंडिया के लिए प्रोत्साहित कर रही है तो दूसरी झारखंड के जामजाडा में सक्रिय आनलाइन ठग गिरोह अब देश के युवाओं को फर्जीवाडा सीखने की आनलाइन ट्रेनिंग दे रहा हैं। इसका इस्तेमाल अपराधों को बढ़ावा देने में भी बखूबी देखने को मिल रहा है। जामताड़ा और मेवात गिरोह इसका उदाहरण है। अब तो जामताड़ा और मेवात गिरोह के दिग्गज अगली पीढ़ी के साइबर बदमाशों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
गुजरात पुलिस के सूत्रों के मुताबिक गिरोह के दिग्गज सदस्य अपना नाम बनाए रखने के लिए सिम क्लोनिंग, वित्तीय धोखाधड़ी और सेक्सटॉर्शन तकनीकों में इच्छुक जालसाजों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वे बेरोजगार युवाओं तक बड़े पैमाने पर पहुंचने के लिए इंटरनेट मीडिया ग्रुप्स, मुख्य रूप से टेलीग्राम पर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। यह पैंतरा युवाओं की एक ऐसी खेप पर आजमाया जा रहा है, जो एक आकर्षक ‘करियर विकल्प’ के रूप में नौकरियों को देखते हैं।
गुजरात के बनासकांठा के तीन लोग, एक सिम क्लोनिंग रैकेट में शामिल थे। इन लोगों ने झारखंड के जामताड़ा में बैंकिंग धोखाधड़ी करने की ट्रेनिंग ली थी। इसी तरह कई राज्यों के क्रिमिनल्स ने सेक्सटॉर्शन से संबंधित अपराधों को अंजाम देने के लिए नियोजित तरीकों को सीखने के लिए मेवात के गिरोहों से संपर्क साधा। साल 2017-2018 में जामताड़ा वित्तीय साइबर धोखाधड़ी का हॉटस्पॉट बन गया।
पुलिस और एजेंसियों के जरिए निगरानी बढ़ाने के बाद कई आरोपियों ने अपना ठिकाना बदल दिया है। साइबर सेल पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक इन गिरोहों ने अपने काम और नाम को बनाए रखने के लिए दूसरों को प्रशिक्षित करने का एक नया व्यवसाय भी शुरू किया है, जिसके लिए वे बाकायदा कमीशन भी लेते हैं। इसके लिए अपराधों की बारीकियां सिखाने के अलावा, ये अनुभवी धोखेबाज लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी खासा मदद करते हैं। साइबर टूल का इस्तेमाल कर कॉन जॉब करने के बाद, आरोपी आमतौर पर उनके जरिए इस्तेमाल किए गए फोन और सिम कार्ड का निपटान भी करते हैं।
अपराध शाखा के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि बंगाल में विभिन्न गिरोह हैं, जो अपराध करने के लिए सेल फोन और सिम कार्ड मुहैया कराते हैं। तो वहीं जामताड़ा और मेवात के साइबर अपराधी इस धंधे में सीखने वाले इच्छुक लोगों को इन गिरोहों तक पहुंचने के लिए मदद करते हैं। मेवात में साइबर बदमाश यौन शोषण में विशेषज्ञता हासिल करने वालों को डीपफेक का इस्तेमाल कर अश्लील वीडियो बनाने की ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही वे नए अपराधियों की सफलता दर के हिसाब से कमीशन भी तय कर लेते हैं। धोखे का यह धंधा पूरी तरह भरोसे पर चलता है।
आमतौर पर गिरोह को संचालित करने वाले लोगों के प्रति धोखाधड़ी के मामले में 5-10% का कमीशन लेते हैं। अगर कोई नौसिखिया यानी कि जो इस धंधे में नया जुड़ा है, वह अपने गुरु को धोखा देता है, तो वह व्यवसाय से बाहर कर दिया जाता है। कोविड -19 महामारी के दौरान ऐसे गिरोहों के जरिए कई “ऑनलाइन क्लासेज” संचालित की गईं।










