जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने के लिए सख्त और सटीक कदम उठाए जाएंगे। कश्मीरी हिंदू घाटी में ही रहेंगे। उन्हें बाहर नहीं निकाला जाएगा। कश्मीर घाटी में उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इसके लिए तैयार रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को टारगेट किलिग जैसी घटनाओं में शामिल आतंकियों और उनसे जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को पूरी तरह से समाप्त करना और सीमा पार से जीरो घुसपैठ का लक्ष्य हासिल करना सरकार की प्राथमिकता है।
पिछले कुछ दिनों से कश्मीर घाटी में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के बाद गृह मंत्रालय में हुई पहली उच्च स्तरीय बैठक में अमित शाह के साथ ही जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, एनएसए अजीत डोभाल, रा प्रमुख सामंत गोयल, आइबी प्रमुख अरविंद कुमार, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, गृह सचिव अजय भल्ला और विभिन्न् सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। दो हफ्ते के भीतर जम्मू-कश्मीर के हालात पर अमित शाह की यह दूसरी उच्च स्तरीय बैठक थी। बैठक में सुरक्षा एजेंसियों की ओर से बताया गया कि बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देने में विफल होने के बाद आतंकी हताशा में साफ्ट टारगेट को निशाना बना रहे हैं और यह काम युवाओं को पैसे देकर कराया जा रहा है। एजेंसियों ने भरोसा दिया कि पिछले साल अक्टूबर में वे इसी तरह के हाइब्रिड आतंकियों से निपटने में कामयाब रहे थे और इस बार भी उनपर लगाम लगाने में सफल होंगे।
1990 की गलती नहीं दोहराई जाएगी : बैठक में भाग लेने आए जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टारगेट किलिंग को देखते हुए कश्मीर घाटी से हिंदुओं को बाहर निकाले जाने की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल लगभग छह हजार हिंदू कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। लेकिन उन्हें पूरी तरह से घाटी से निकालने की 1990 की गलती नहीं दोहराई जाएगी। आतंकियों को टारगेट किलिग का मकसद भी भय फैलाकर अल्पसंख्यक हिंदुओं को घाटी से बाहर निकलने के लिए मजबूर करना है, लेकिन इस बार उनकी साजिश सफल नहीं हो पाएगी।
अधिकारी के अनुसार घाटी में हालात तेजी से सुधर रहे हैं और आतंकी व अलगाववादी पूरी तरह से हाशिये पर हैं। इसके लिए उन्होंने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत और आतंकी यासीन मलिक को हुई उम्रकैद की सजा का हवाला दिया। उनके अनुसार इन दोनों की घटनाओं पर घाटी में पूरी तरह से शांत रही, जबकि इसके पहले बुरहान वानी के एनकाउंटर से लेकर अन्य घटनाओं के समय घाटी कई दिनों तक अशांत हो जाती थी।
जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले दो सालों से रिकार्ड संख्या में पर्यटकों का घाटी में आना यहां के बदलते माहौल को दर्शाता है। उनके अनुसार इस साल अभी तक 10 लाख से अधिक पर्यटक घाटी में आ चुके हैं। इसके साथ ही 15 जून को श्रीनगर में फिल्म फेस्टिवल भी शुरू होने जा रहा है, जबकि आतंकवाद शुरू होने के बाद घाटी में सभी सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया था।