विज्ञानियों को ऐसे न्यूरान की पहचान करने में बड़ी सफलता मिली है, जो शरीर का तापमान बनाए रखते हैं। इस उपलब्धि से ऐसी तकनीक के विकास की राह खुल सकती है, जिससे हीट स्ट्रोक यानी लू और हाइपोथर्मिया के अलावा मोटापे के उपचार में भी मदद मिल सकती है। हाइपोथर्मिया में श्ारीर के तापमान में कमी आ जाती है। लंबे समय तक ठंड में रहने के कारण यह समस्या खड़ी होती है।
जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के प्रीआप्टिक एरिया में न्यूरान के एक समूह का पता लगाया है। ये न्यूरान स्तनधारियों में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस समूह के न्यूरान को ईपी3 न्यूरान नाम दिया गया है। प्रीआप्टिक एरिया मस्तिष्क के हाइपोथैलमस का हिस्सा है, जो शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है। शोध के निष्कर्षों को साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इंसानों और कई अन्य स्तनधारियों के शरीर का तापमान करीब 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट रहता है। सामान्य तापमान गड़बड़ाने से शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है। नतीजन हीट स्ट्रोक और हाइपोथर्मिया जैसी समस्या खड़ी हो सकती है। स्थिति बिगड़ने पर जान तक जा सकती है। हालांकि इन समस्याओं का उपचार हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्रीआप्टिक एरिया में कौन सा न्यूरान शरीर का तापमान बढ़ाने या घटाने में भूमिका निभाता है।