कोरोना की इस दूसरी और घातक लहर में मध्य प्रदेश के जबलपुर में नया प्रयोग किया जा रहा है। यहां के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज से संबंद्ध अस्पताल में कोरोना संक्रमित 200 मरीजों को एचआइवी की दवा नाइटाजोक्सानाइड टेबलेट दी गई। हैरानी की बात यह है कि सभी मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे बिना कोरोना को मात देकर घर जा चुके हैं। अब तक यह दवा खाने वाले किसी भी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई। दवा के असर को देखते हुए कोरोना के सभी मरीजों पर इसके इस्तेमाल की तैयारी की जा रही है।
ह्यूमन इम्युनोडिफिशियंसी वायरस (एचआइवी) से संक्रमित एड्स के मरीजों के उपचार में उपयोगी नाइटाजोक्सानाइड दवा कोरोना के वायरस को भी खत्म करने में उपयोगी पाई गई है। इसके कारण मरीज को दस्त की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। कोरोना की दूसरी लहर में बीमारी के अन्य लक्षणों में दस्त की समस्या भी सामने आई, जिसे देखते हुए प्रयोग के तौर पर ऐसे लक्षण वाले कोरोना के मरीजों को नाइटाजोक्सानाइड दी गई और इसके अच्छे परिणाम सामने आए। फिर अन्य लक्षण वाले मरीजों पर भी इसे आजमाया गया।
अस्पताल के कोविड प्रभारी डा. संजय भारती का कहना है कि कोरोना मरीजों के उपचार में शामिल डाक्टरों की टीम ने सर्वसम्मति से नाइटाजोक्सानाइड के उपयोग की योजना बनाई थी। दवा के प्रयोग के बेहतर परिणाम सामने आने के बाद कोरोना के गंभीर मरीजों पर इसके प्रयोग को लेकर चर्चा की जा रही है। यहां भर्ती उन मरीजों पर नाइटाजोक्सानाइड का प्रयोग किया गया जो गंभीर हालत में नहीं थे। दवा के असर के चलते गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचे। वहीं सामान्य लक्षण वाले कोरोना के वे मरीज जिन्हें नाइटाजोक्सानाइड नहीं दी गई थी, उनमें से कुछ गंभीर हालत में पहुंच गए। वर्ष 2020 में देश में सबसे पहले आइवरमेक्टिन दवा का प्रयोग इसी अस्पताल के कोरोना मरीजों पर किया गया था।
कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों का कहना है कि अस्पताल में जो दवाएं दी गई हैं, उनसे वे संतुष्ट हैं। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए वे पहले घबरा रहे थे, लेकिन यहां जो इलाज दिया गया उसके बाद वे जल्द स्वस्थ हो गए। वे गंभीर हालत में भी नहीं पहुंचे।