श्वसन क्रिया के दौरान संक्रमण के फैलने की जानकारी आम हो चुकी है, लेकिन नए अध्ययन में पता चला है कि बहुत कम समय के दौरान अति सूक्ष्म ड्रापलेट्स के जरिये बाहर निकलने वाले वायरस का पता लगाने के लिए चंद सांसें ही काफी हैैं। स्वीडन स्थित यूनिवर्सिटी आफ गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 की जांच की प्रक्रिया में राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस से युक्त एरोसोल पार्टिकल का पता पहले चल जाता है। यूनिवर्सिटी में डाक्टरेट की छात्रा व अध्ययन की प्रमुख लेखिका एमिलिया विकलुंड ने कहा, ‘जिन कणों का हम पता लगा सकते हैं, वे बहुत छोटे हैं। उनका व्यास पांच माइक्रोमीटर से कम है। हम चंद सांसों में ही आरएनए वायरस वाले पार्टिकल का पता लगाने में कामयाब रहे हैैं।” इसकी माप पार्टिकल्स इन एक्सहेल्ड एयर (पीईएक्सए) के साथ किया गया था, जिसे सहलग्रेंस्का एकेडमी स्थित व्यावसायिक एवं पर्यावरण चिकित्सा संस्थान ने विकसित किया है। इसे ब्रेथ एक्सप्लोर (बीई) नामक हाथ से चलाए जाने वाले एक छोटे उपकरण के साथ संचालित किया जा सकता है। यह अध्ययन निष्कर्ष ‘इन्फ्लुएंजा एंड अदर रेस्पिरेटरी वायरस” नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के दौरान नमूने एकत्र करने के लिए तीन पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया। इनमें 20 बार सामान्य तरीके से सांस लेना, गहरी सांस लेने के बाद थोड़ी देर के लिए रोकना व उपकरण में तीन बार खांसना शामिल हैैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि खांसने वाले नमूनों का परिणाम काफी बेहतर रहा।