डाक्टर बनने का सपना देखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों के लिए सरकार ने बडा कदम उठाया है। देश के निजी मेडिकल कालेजों में 50 प्रतिशत सीटों के लिए फीस सरकारी संस्थानोें के समान होगी। इस फैसले से देशभर के हजारों छात्रों को लाभ मिलेगा। वहीं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने जारी अधिसूचना में कहा है, ‘गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय किया गया है कि निजी मेडिकल कालेज और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों के लिए फीस संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद सरकारी मेडिकल कालेजों के बराबर होगी। इस फीस स्ट्रक्चर का फायदा पहले उन अभ्यर्थियों को मिलेगा, जिन्होंने सरकारी कोटे की सीटों का लाभ उठाया है, लेकिन ये संबंधित मेडिकल कालेज/डीम्ड विश्वविद्यालय की कुल स्वीकृत सीट के 50 प्रतिशत सीमा तक सीमित है।”
अधिसूचना में कहा गया है कि अगर सरकारी कोटे की सीटों की संख्या मेडिकल कालेज/डीम्ड विश्वविद्यालय की स्वीकृत सीटों के 50 प्रतिशत से कम होगी तो मेरिट के आधार पर शेष अभ्यर्थियों को सरकारी कालेज के बराबर फीस का लाभ मिलेगा।
केंद्र सरकार ने तत्कालीन भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के तत्कालीन बोर्ड आफ गवर्नर्स (बीओजी) से गठित होने वाले एनएमसी के विचार के लिए शुल्क निर्धारण का मसौदा तैयार करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 23 नवंबर, 2019 को बीओडी-एमसीआइ द्वारा और बाद में एनएमसी द्वारा विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने निजी मेडिकल कालेजों और डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फीस और अन्य श्ाुल्कों के संबंध में 26 सिफारिशें की थीं। एनएमसी ने इस पर लोगों से राय मांगी थी, जिस पर करीब 1,800 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं। एनएमसी द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को एक अन्य समिति का गठन किया गया, जिसने लोगों की प्रतिक्रियाओं की पड़ताल की और फिर दिश्ाानिर्देश्ाों का संशोधित मसौदा सौंप दिया था। 29 दिसंबर, 2021 को एनएमसी ने इस समिति की संश्ाोधित सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।
अधिसूचना में कहा गया है कि अगर सरकारी कोटे की सीटों की संख्या मेडिकल कालेज/डीम्ड विश्वविद्यालय की स्वीकृत सीटों के 50 प्रतिशत से कम होगी तो मेरिट के आधार पर शेष अभ्यर्थियों को सरकारी कालेज के बराबर फीस का लाभ मिलेगा।
केंद्र सरकार ने तत्कालीन भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के तत्कालीन बोर्ड आफ गवर्नर्स (बीओजी) से गठित होने वाले एनएमसी के विचार के लिए शुल्क निर्धारण का मसौदा तैयार करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 23 नवंबर, 2019 को बीओडी-एमसीआइ द्वारा और बाद में एनएमसी द्वारा विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने निजी मेडिकल कालेजों और डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फीस और अन्य श्ाुल्कों के संबंध में 26 सिफारिशें की थीं। एनएमसी ने इस पर लोगों से राय मांगी थी, जिस पर करीब 1,800 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं। एनएमसी द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को एक अन्य समिति का गठन किया गया, जिसने लोगों की प्रतिक्रियाओं की पड़ताल की और फिर दिश्ाानिर्देश्ाों का संशोधित मसौदा सौंप दिया था। 29 दिसंबर, 2021 को एनएमसी ने इस समिति की संश्ाोधित सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।