स्वदेशी कंपनी बायोलाजिकल ई ने भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से 12 से 18 वर्ष आयुवर्ग के किश्ाोरों पर अपनी कोरोना रोधी वैक्सीन कोर्बेवैक्स के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मांगी है। डीसीजीआइ से 28 दिसंबर को ही वयस्कों पर कोर्बेवैक्स के प्रतिबंधित इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। हैदराबाद की कंपनी द्वारा विकसित की गई यह कोरोना वायरस के खिलाफ पहली स्वदेशी आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। इसमें आरबीडी यानी सार्स-सीओवी-2 के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के प्रोटीन के अवशेष का एंटीजेन की तरफ इस्तेमाल हुआ है।
डीसीजीआइ को नौ फरवरी को भेजे आवेदन में कंपनी गुणवत्ता एवं नियामक मामलों के प्रमुख श्रीनिवास कोसाराजू ने कहा है कि पिछले साल सितंबर में पांच से 18 वर्ष के बच्चों और किशोरों पर कोर्बेवैक्स के दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी मिली थी। अक्टूबर में क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया गया है जिसमें वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी पाया गया है।
कंपनी ने कहा है कि 12-18 वर्ष आयुवर्ग के लिए इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुुमति उसके दूसरे और तीसरे चरण्ा के परीक्षण्ा के आंतरिक नतीजों के आधार पर मांगी गई है।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को कहा कि 15-18 वर्ष आयुवर्ग के 70 प्रतिशत से अधिक किशोरों को कोरोना रोधी वैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई है। उन्होंने इस आयुवर्ग के सभी किशोरों से जल्द से जल्द टीका लगवाने की अपील की है।