धोखाधड़ी के मामले में क्रय-विक्रय के धंधे से जुड़ी वेबसाइट ओएलएक्स के खिलाफ पंजाब एवं हरियाण्ाा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया है। हाईकोर्ट ने मामले में विक्रेता की सही पहचान जानने के लिए स्क्रीनिंग मेकेनिज्म लागू करने का निर्देश ओएलएक्स इंडिया को दिया था। मामला एक मोटरसाइकिल की बिक्री से जुड़ा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर तात्कालिक रोक लगाते हुए ओएलएक्स को नोटिस भी जारी किया। इस नोटिस का जवाब कंपनी को चार मार्च तक देना है। मामला ओएलएक्स पर मोटरसाइकिल बेचने के लिए दिए गए विज्ञापन से जुड़ा हुआ है। बाद में पता चला कि जिस व्यक्ति ने विज्ञापन दिया था, वास्तव में वह मोटरसाइकिल का मालिक था ही नहीं। फर्जी सौदे के बाद मामला पुलिस थाने तक गया। इसके बाद मामले में हाईकोर्ट ने ओएलएक्स को निर्देश दिया कि वह वस्तुओं की बिक्री संबंधी सभी विज्ञापनों को डिलीट करे और उसके बाद वही विज्ञापन प्रस्तुत करे जिसके साथ विक्रेता के दो पहचान पत्र हों। इससे खरीदार किसी तरह की धोखाधड़ी के शिकार होने से बच सकेंगे। हाईकोर्ट के निर्देश में विक्रेता के दो मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने हाईकोर्ट के इन निर्देशों पर फिलहाल स्थगनादेश दे दिया है।