कोरोना संकट के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आनलाइन पढ़ाई कराने वाली कंपनियों की बाढ़ सी आयी हुई है। इनकी ओर से नए-नए आनलाइन कोर्स छात्रों को आफर किए जा रहे है। इनमें से कुछ कंपनियों ने तो सारे नियमों को ताक में रखने हुए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर आनलाइन पीएचडी कोर्स भी आफर करना शुरू कर दिया है। हालांकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ऐसे मामलों के सामने आने के बाद छात्रों और अभिभावकों को सतर्क किया है और कहा कि आनलाइन पीएचडी मान्य नहीं है। ऐसे में वह इस तरह के प्रस्तावों को गंभीरता से न लें और न ही भूलकर इनमें दाखिला लें।
खासबात यह है कि शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के इस तरह के फर्जीवाड़े को लेकर यूजीसी के साथ- साथ एआईसीटीई(ऑल इंडिया काउंसिल आफ टेक्नीकल एजुकेशन) ने भी छात्रों को अलर्ट किया है। उच्च शिक्षा से जुड़े इन नियामकों की ओर से शिक्षा से जुड़ी निजी कंपनियों के फर्जीवाड़े को लेकर इस साल में दूसरी बार ऐसा अलर्ट जारी किया गया है। इससे शिक्षा से जुड़ी इन निजी कंपनियों की ओर देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों और कालेजों से संबद्धता (फ्रेंचाइजी) लेकर आनलाइन कोर्स में दाखिले का प्रस्ताव दिया जा रहा था। यूजीसी ने उस समय भी यह साफ किया था कि कोई भी विश्वविद्यालय या कालेज से संबद्धता लेकर आनलाइन कोर्स नहीं संचालित हो सकते है। ऐसे में जो कंपनियां या संस्थान ऐसे कोर्स आफर कर रहे है,वह पूरी तरह से फर्जी है। छात्रों और अभिभावकों से इनमें दाखिला न लेने की सलाह भी दी थी।
यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों को अलर्ट करते हुए कहा है कि पीएचडी कोर्स में दाखिला लेने से पहले उस संस्थान की यूजीसी से ली गई अनुमति को जांच ले। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आनलाइन शिक्षा देने के नाम पर निजी कंपनियों की आयी इस बाढ़ के साथ उनकी ओर से परोसी जा रही घटिया अध्ययन सामग्री पर रोक लगाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। इस संबंध में कानून और आईटी मंत्रालयों के साथ चर्चा चल रही है। जल्द ही इसे लेकर एक नीति लायी जाएगी।