हाल के महीनों में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के देशभर में हमलों ने पाकिस्तान को अफगान तालिबान के सामने गिड़गिड़ाने को विवश कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि टीटीपी से त्रस्त होकर पाकिस्तान ने गुपचुप ढंग से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से इस पर अंकुश लगाने का आग्रह किया है। माना जा रहा है कि अफागानिस्तान की सरकार ने इसके लिए टीटीपी से वार्ता को ही एक मात्र हल बताया है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने अफगान तालिबान की पहल पर इस आतंकी संगठन से शांति वार्ता की थी। इसके परिणाम यह हुए कि कुछ खास टीटीपी सदस्यों की घर वापसी के बदले आतंकी समूह संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गया। लेकिन पाकिस्तान सरकार द्वारा इसका पालन न करने का आरोप लगाते हुए हाल के महीनों में टीटीपी के हमले फिर तेज हो गए हैं। इससे संघर्ष विराम टूट गया है।
टीटीपी लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहा है। पूरे पाकिस्तान में शरिया कानून चाहने वाले टीटीपी ने पिछले तीन महीनों में 150 से अधिक आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है। इन हमलों ने पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने इस महीने की शुरुआत में इन हमलों से निपटने के लिए दो दिन तक बैठक कर विचार विमर्श किया था। हाल में पाकिस्तान ने दोहा समझौते का पालन करते हुए तालिबानी अधिकारियों से टीटीपी पर अंकुश लगाने का आग्रह किया। लेकिन तालिबान ने कहा कि टीटीपी से वार्ता ही इसका समाधान संभव है।