नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से (2014-15) भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्य के लिहाज से दोगुनी होकर 1,72,000 रुपये हो गई है। 2014-15 में यह 86,647 रुपये थी। हालांकि आय का असमान वितरण अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। आधार वर्ष 2011 के स्थिर मूल्य को पैमाना मानें तो प्रति व्यक्ति आय 2014-15 में 72,805 रुपये थी, जो 35 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 98,118 रुपये हो गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के दौरान प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई। हालांकि बाद में स्थिति सुधरी और 2021-22 और 2022-23 में इसमें तेजी दर्ज की गई।
प्रमुख आर्थिक अनुसंधान संस्थान एनआईपीएफपी के पूर्व निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि विश्व विकास संकेतक डाटा बेस के अनुसार 2014 से 2019 के दौरान भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत प्रति वर्ष थी। यह बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है। इस अवधि में स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिकी और सामाजिक क्षेत्र में सुधार देखा गया। कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित जरूर किया, लेकिन उसके बाद स्थिति में एक बार फिर सुधार आया। उन्होंने कहा, हमें देश के भीतर विकास में असमानता को ध्यान में रखना होगा और अगर हम संतुलित क्षेत्रीय विकास को तेज करते हैं तो यह ऊंची वृद्धि दर हासिल करने में सहायक बनेगा। मोदी सरकार ने गरीबों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। इतना ही नहीं सरकार यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि सभी योजनाओं का लाभ सीधे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।
ब्रिटेन को पीछे छोड़ भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है।अब वह केवल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है। एक दशक पहले भारत 11वें पायदान पर था जबकि ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था।
मुद्रास्फीति की तुलना में प्रति व्यक्ति आय में हुई बढ़ोतरी बहुत कम
प्रसिद्ध् अर्थशास्त्री जयंती घोष ने प्रति व्यक्ति आय के दोगुना होने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आम लोग मौजूदा कीमतों में जीडीपी को देखते हैं। जबकि अगर मुद्रास्फीति को ध्यान में रखें तो प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी बहुत कम है। आय का असमान वितरण एक महत्वपूर्ण तथ्य है। जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों की आय में हुई वृद्धि को दिखाती है। जबकि वास्तव में औसत वेतन गिर रहा और संभवत: वास्तविक रूप से भी कम है।
डीबीटी के जरिये सरकार ने बचाए 27 अरब डालर
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं में लाभार्थियों तक “प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण” (डीबीटी) का इस्तेमाल कर सरकार ने लगभग 27 अरब डालर (2.2 लाख करोड़ रुपये) की बचत की है। इस राशि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह जिबाब्वे, लीबिया, कंबोडिया, माली, जांबिया जैसे देशों की कुल जीडीपी से ज्यादा है। वित्तीय समावेशन पर यहां आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए सेठ ने कहा कि डीबीटी हस्तांतरण के सीधे और बहुत जल्दी होने से इसमें भ्रष्टाचार होने या फर्जी लाभार्थियों के होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। सेठ ने कहा कि भारत के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे ने हर तरह के कारोबारी संपर्कों का खाका पूरी तरह बदल दिया है।