जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने को सही ठहराने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज दी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि पूछा यह कैसी याचिका है? हमें आपकी याचिका पर वह घोषणा क्यों करनी चाहिए? याचिकाकर्ता के वकील से कोर्ट ने पूछा आपके क्लाइंट को किसने राय दी है? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता का मुद्दा पहले से ही संविधान पीठ के समक्ष लंबित है। बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को हटाने की संवैधानिक वैधता का मुद्दा संविधान पीठ के समक्ष पेंडिंग है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के वकील राजीव धवन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करते समय संविधान के अनुच्छेद 239ए का पालन नहीं किया गया। अनुच्छेद 239ए के मुताबिक कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्थानीय विधानसभाओं या मंत्रिपरिषद या दोनों के निर्माण की शक्ति संसद के पास है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त की सुनवाई के दौरान कहा था कि अक्टूबर 1947 में पूर्व रियासत के विलय के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का भारत को समर्पण पूरा हो गया था और यह कहना मुश्किल था कि 370 जो उसे विशेष दर्जा प्रदान करता था, स्थायी था। यह नहीं कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में संप्रभुता के कुछ तत्वों को अनुच्छेद 370 के बाद भी बरकरार रखा गया था।