रमजान के महीने में मलेशिया में मॉरल पुलिस एक्टिव हो गई है। देशभर में रोजे को बीच में तोड़ने वालों पर 16.65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें 1 साल जेल की सजा भी दी जा रही है। सड़कों पर गश्त की जा रही है। पुलिस कभी वर्दी तो कभी सादे कपड़ों में खाने-पीने की जगहों पर रेड डाल रही है। इस दौरान अगर कोई गैर-मुस्लिम व्यक्ति भी एक मुस्लिम को खाना, पानी या तंबाकू बेचते मिलता है, तो उसे सजा होती है। मलेशिया के इस्लामिक डिपार्टमेंट (JAIM) ने इस साल ऐसी 10 जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चुना है, जहां इस तरह की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं।
पिछले साल देश के मलक्का राज्य में 100 मुस्लिमों को बीच में रमजान तोड़ने पर गिरफ्तार किया गया था। जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 41 तक सीमित था। दरअसल, मलेशिया की आबादी करीब 3.4 करोड़ है। इनमें से करीब 2 करोड़ लोग मुस्लिम हैं। इनके लिए शादी, तलाक और रमजान जैसे मौकों पर शरिया कानून का पालन करना जरूरी होता है। CNN न्यूज के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में मलेशिया में इस्लाम को लेकर कट्टरवाद बढ़ गया है। इसकी एक बड़ी वजह साल 2022 में मलेशिया में हुए आम चुनाव हैं।