नई दिल्ली। गाडिय़ों के टायर के वजह से नदियों में रहने वाली मछलियां को कुछ नुकसान हो सकता है। इस बात का दावा हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने किया है। दरअसल, कार के टायरों में उपयोग होने वाले जहरीले रसायन से नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है। यह प्रदूषण नदियों की मछलियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इतना ही नहीं शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो हालात बहुत खतरनाक हो सकते हैं। साइंस जर्नल में प्राकाशित हुए इस अध्ययन में पता चला है कि नदियों में जहर फैलने से सालमन मछलियां मर रही हैं। ये मछलियां ऐसे रसायन से मर रही हैं, जो टायरों में उपयोग किए जाने वाले पदार्थ से बनता है। बता दें कि यह खास पदार्थ टायरों की उम्र बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। टायरों के घिसने से सूक्ष्मकण रास्तों पर बिखरते हैं और पानी में मिलकर नदियों में पहुंच जाता है, जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है। अमेरिका में हुए इस शोध में पाया गया कि नदियों में, जो खतरनाक केमिकल मछलियों की जान ले रहा है वह असल में 6पीपीडी है, जो टायरों की ओजोन के साथ प्रतिक्रिया होने से रोकता है। समस्या 6पीपीडी से ज्यादा उससे बनने वाले दूसरे रसायन से है, जो तेजी से बड़ी मछलियों को मार देता है। यह पूरी दुनिया में सड़कों से पानी की स्रोतों, खास तौर पर नदियों में पहुंचता है इससे मछलियों का प्रजनन प्रभावित होता है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एनवायर्नमेंटल केमिस्ट और इस शोध के प्रमुख लेखक एडवर्ड क्लॉजिएच का कहना है कि ”वास्तव में जलीय जीव इन बड़े कैमिकल सूप को झेल रहे हैं और हम नहीं जानते कि इसमें कितने रसायन हैं। यहां हमने 2000 रसायनों के मिश्रण से शुरुआत की और उनकी पड़ताल करते हुए एक बहुत ही जहरीले रसायन तक पहुंचे, जो बड़ी मछलियों को तेजी से मार देता है। हमें लगता है कि यह दुनिया की हर व्यस्त सड़क पर पाया जाता है। सालमन मछिलायों साफ पानी में पैदा होती हैं, जहां वे अपने जीवन का पहला साल गुजारती हैं इसके बाद वे खुले समुद्र में जाकर अपना बाकी जीवन गुजार देती हैं। लेकिन इनमें से 0.1 फीसदी मछलियां साफ पानी में अपने मूल स्रोत की ओर लौटती हैं और मरने से पहले उस पानी में अंडे देती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि वापसी करने वाली सालमन मछलियां प्रजनन से पहले ही मर रही हैं।