नई दिल्ली। किसान आंदोलन के दौरान टुकड़े- टुकड़े में संघर्ष और सियासत के बीच संयुक्त किसान मोर्चे की एकजुट दीवार में ‘दरार पड़ गई। बिखराव का यह सिलसिला हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से शुरू हो गया है। संयुक्त मोर्चा ने अब उत्तर प्रदेश के भाकियू (भानू) और वीएम सिंह से नाता तोड़ लिया है। ये संगठन सरकार से बातचीत कर हल निकालने के पक्षधर हैं। पंजाब की ज्यादातर जत्थेबंदियों को छोड़कर दूसरे राज्यों की कई किसान यूनियन अब समाधान के मूड में हैं। इनका दबाव है कि थोड़ी नरमी बरतकर बातचीत से बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए।
-बीच का रास्ता
पंजाब छोड़कर बातचीत के पक्षधर देश के कई किसान संगठन अब आयोग, ट्रिब्यूनल और न्यूतनतम समर्थन मूल्य पर लिखित गारंटी के साथ-साथ सरकार से मिले बाकी प्रस्तावों को लेकर सहमत और आशान्वित हैं। नरम रवैया अपनाने वाले ये किसान संगठन तीनों कानूनों को रद करने की जिद छोडऩे के संकेत दे रहे हैं।
इसी कड़ी में बातचीत में अड़चन बनी एनसीआर की पहली दीवार (बैरिकेड) यूपी के चिल्ला बॉर्डर से ढह गई। इस मोर्चे पर डटे भाकियू (भानू) के नेता सोमवार को दिल्ली कूच व भूख हड़ताल करने वाले हैं। इंसाफ के लिए भाकियू (भानू) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
भाकियू (भानू) को आंदोलन से दरकिनार कर दिया
इस पर संयुक्त मोर्चे ने रविवार की बैठक में भाकियू (भानू) को आंदोलन से दरकिनार कर दिया। मोर्चे को यह लगा कि अब भानू गुट सरकार के पाले में है। बता दें, इससे पहले अकाली दल के हिमायती अजमेर सिंह लखोवाल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका के चलते संयुक्त मोर्चे से अलग कर दिया गया था। याचिका वापस लेने के बाद ही उनकी आंदोलन में सक्रिय वापसी हो पाई।
संयोजक से वीएम सिंह को हटाया
उधर, यूपी से ही जुड़े किसान नेता वीएम सिंह की नाराजगी इस पर है कि केंद्र सरकार केवल पंजाब के किसान संगठनों से ही क्यों बात कर रही है। सरकार को देश भर के किसानों की सुननी चाहिए। इस बयान से नाराज होकर संयुक्त मोर्चे ने वीएम सिंह को हटा दिया। ‘दरार के बाद अब पंजाब की जत्थेबंदियों ने निर्णय का अधिकार संयुक्त मोर्चा को सौंप दिया है। अब तक पंजाब की 32 में से 30 जत्थेबंदियां पहले आपस में चर्चा करती थीं, फिर देश के दूसरे किसान संगठनों के साथ संयुक्त मोर्चे के मंच पर मशविरा करती रही हैं। अब संयुक्त मोर्च के मंच पर संयुक्त बैठक में ही चर्चा के बाद फैसले की रणनीति बनी है।
हरियाणा-उत्तराखंड से भी सरकार को समर्थन
इससे पहले हरियाणा की 20 किसान जत्थेबंदियां अतर सिंह की अगुवाई में केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलकर सरकार के नए कृषि सुधार बिल का समर्थन कर चुकी थी। सरकार के समर्थन वाली हरियाणा के किसान संगठनों की यह संख्या शनिवार को बढ़कर 29 पहुंच गई। इसके पीछे सीएम मनोहरलाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की रणनीति रही।