प्रधानमंत्री ने 25 जून 1975 के दिन को किया याद
नई दिल्ली। आजाद भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल माने जाने वाले 25 जून 1975 के दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक काला अध्याय है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 1975 से 1977 की अवधि में जो विनाश देखा गया, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता, किस तरह हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को कुचला गया था. हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की। उन्होंने आगे कहा, आइए हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें, और हमारे संविधान के मूल्यों पर खरा उतरें। मालूम हो कि भारत के इतिहास में आज ही के दिन कांग्रेस सरकार की तरफ से 25 जून 1975 में देशभर में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी, जिसे देश की राजनीति का काला अध्याय कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान चुनाव स्थगित कर दिए गए थे और लोगों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया था। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने लिखा कि एक परिवार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए लगाया गया आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज के दिन को याद करते हुए कहा कि देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस तरह संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता। इस दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश में आंदोलन भी हुए और लोगों ने न जाने कितनी यातनायें सहीं।
25 जून 1975 – आपातकाल
25 जून 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देशभर में आपातकाल लगाने का आदेश तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर दिया था, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया. इस आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की तरफ से ये दलीलें दी गई थीं कि आपातकाल लगाना जरूरी है, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी. विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए थे, जिसके बाद पूरा देश इंदिरा गांधी और संजय गांधी का बंधक बना दिया गया था।
बड़े पैमाने पर कर दी गई थी पुरुषों की नसबंदी
इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान भी चलाया गया था। कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया. बाद में अखबार तो फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है, ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल रहा, क्योंकि इस दौरान नागरिक अधिकारों को खत्म करते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में डाल दिया गया था। देश में आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था, जिनके साथ इंदिरा गांधी की नीतियों का विरोध करने वाले और नेताओं को भी गिरफ्तार कर देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया था. आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि तक लगाया गया था. 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था और 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई थी।