पार्टी में विद्रोह के बाद शवसेना नेताओं द्वारा बागियों को गद्दार साबित करने की कोशिश चल रही है, लेकिन बागी शिंदे गुट महाराष्ट्र की जनता को बार-बार यह संदेश देना चाह रहा है कि 2019 का विधानसभा चुनाव शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन करके लड़ा था। दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ाने का काम संजय राउत ने किया। शिंदे गुट ने एक पत्र के जरिये शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से फिर आग्रह किया है कि महाराष्ट्र की जनता ने जिस गठबंधन को चुनकर भेजा था, उसे वे पुन: पुनर्जीवित करें।
शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने चार पेज का एक पत्र लिखकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन की कुछ पुरानी बातें याद दिलाई हैं। उन्होंने लिखा है कि शिवसेना-भाजपा का गठबंधन बहुत पुराना है। 2014 में गठबंधन में रहकर ही शिवसेना लोकसभा की 18 सीटें जीतने में कामयाब रही। उस समय शिववसेना की ताकत थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं उद्धव ठाकरे की मेहनत के कारण यह संभव हो सका। हमने विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ने की सोची थी, लेकिन सिर्फ चार सीटों पर फैसला न हो पाने के कारण गठबंधन टूट गया।
इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के राज्यस्तरीय किसी नेता ने हमारे आदर्श शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे पर कभी कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की, लेकिन संजय राउत ने केंद्र की भाजपा सरकार पर टीका-टिप्पणी शुरू कर दिया। मतलब केंद्र में मंत्री पद भी लेना है, मोदी के मंत्रिमंडल में भी रहना है, राज्य सरकार में भी घटक दल की भूमिका निभानी है, और मोदी पर जहर भी उगलते रहना है। यानी दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ाने का काम शुरू किया गया। हम सभी विधायकों ने इस मुद्दे पर अपने नेतृत्व (उद्धव ठाकरे) से बार-बार चर्चा की। लेकिन संजय राउत की यह भाषा कायम रही। धीरे-धीरे शिवसेना की राजनीतिक दिशा बदलने लगी। ये बदलाव शिवसेना को बढ़ाने के लिए होता, हिंदुत्व के विचार को बढ़ाने के लिए होता, तो माना जा सकता था। लेकिन यहां तो विचारों से ही समझौता किया जाने लगा।
केसरकर लिखते हैं कि जिस कश्मीर मुद्दे पर बालासाहब ठाकरे ने अपनी भूमिका हमेशा स्पष्ट रखी, उसी कश्मीर में जब अनुच्छेद 370 हटाया गया, तो हमारे नेता बोले तक नहीं। क्या हम इस स्थिति में पहुंच गए है? सोनिया गांधी और शरद पवार को खुश् करने के लिए हम अपना आत्मसम्मान भी खो बैठे। सरकार बनने पर सभी महत्वपूर्ण विभाग कांग्रेस-राकांपा के पास चले गए। दाऊद से संबंध रखनेवाले एक मंत्री का बचाव कैसे किया जा रहा है सब देख रहे हैैं। यहां तक कि राज्यसभा चुनाव में भी इस दल ने शिवसेना उम्मीदवार को हरवा दिया। तब भी हम सहन कैसे करते रहें?
संजय राउत पर बरसते हुए केसरकर कहते हैं कि जो कभी जनता द्वारा नहीं चुने गए, वो संजय राउत पार्टी को खत्म करने निकल पड़े हैं। वे शरद पवार के करीबी हो गए हैं। केसरकर राउत को संबोधित करते हुए कहते हैं कि शिवसेना को आप भाजपा से दूर कीजिए, कोई दिक्कत नहीं। लेकिन शिवसेना को हिंदुत्व से ही दूर ले जाओगे तो हम कैसे बर्दाश्त करेंगे।
उद्धव ठाकरे और हम लोगों के बीच दूरी बढ़ाने का काम संजय राउत ने किया है। राकांपा के बड़े नेताओं ने संजय राउत के कंधे पर बंदूक रखकर हम लोगों को मारने का काम किया है। हम लोग आज भी शिवसेना के साथ हैं। शिवसेना व हमारे नेता उद्धव ठाकरे हमारे आग्रह पर विचार करें, एवं जिस गठबंधन को महाराष्ट्र की जनता ने चुनकर भेजा था, उसे पुनर्जीवित करें।