विज्ञानियों ने मस्तिष्क के एक जैव रासायनिक मार्ग का पता लगाया है, जो खतरनाक स्थलों, ध्वनियों व गंधों को एक संदेश में जोड़ते हुए भय पैदा करता है। अमेरिका स्थित साल्क इंस्टीट्यूट के विज्ञानियों ने हालिया अध्ययन में पाया कि सीजीआरपी नामक एक प्रोटीन मस्तिष्क के दो अलग-अलग हिस्सों में न्यूरांस को खतरनाक संवेदी संकेतों को समेकित संकेत में बदलने और नकारात्मक तौर पर चिन्हित करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके बाद यह अमिगडाला तक पहुंचता है, जो सूचना को भय में परिवर्तित कर देता है।
अमिगडाला मस्तिष्क का वह क्षेत्र है, जो मुख्य रूप से भावनात्मक प्रक्रियाओं से जुड़ा होता है। अध्ययन निष्कर्ष सेल रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। विज्ञानियों का दावा है कि यह अध्ययन पोस्ट-ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर (पीटीएसडी) या आटिज्म, माइग्रेन व फाइब्रोमायल्गिया जैसे भय से संबंधित अति संवेदनशील विकारों के इलाज की नई पद्धति के विकास में मददगार साबित हो सकता है।
साल्क के क्लेटन फाउंडेशन लेबोरेटरीज फार पेप्टाइड बायोलाजी में सहायक प्रोफेसर व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुंग हान के अनुसार, ‘हमने जो मस्तिष्क मार्ग का पता लगाया है, वह केंद्रीय अलार्म प्रण्ााली की तरह काम करता है। हम यह जानकर उत्साहित हैैं कि सीजीआरपी न्यूरांस सभी पांच इंद्रियों दृष्टि, ध्वनि, स्वाद, गंध व स्पर्ण के कारण उत्पन्न नकारात्मक संवेदी संकेतों से सक्रिय होते हैं। यह खोज डर संबंधी बीमारियों के इलाज का नया रास्ता दिखाती है।”