विज्ञानियों को मंगल ग्रह पर पानी के तरल रूप में होने के नए साक्ष्य मिले हैं। लाल ग्रह पर मनुष्यों को बसाने के प्रयासों के दिशा में इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के नीचे पानी के तरल रूप में होने के साक्ष्य खोजे हैं। इस शोध के परिणाम नेचर एस्ट्रोनामी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
शोध के लिए विज्ञानियों ने रडार के अलावा अन्य डाटा का उपयोग किया। शोध में शोफील्ड विश्वविद्यालय के साथ ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल थे। विज्ञानियों ने बर्फ की मोटाई के सूक्ष्म पैटर्न की पहचान करने के लिए स्पेसक्राफ्ट लेजर-अल्टीमीटर माप का उपयोग किया। ये पैटर्न कंप्यूटर माडल की भविष्यवाणियों से मेल खाते हैं कि बर्फ की मोटी परत के नीचे मौजूद पानी बर्फ की सतह को कैसे प्रभावित करेगा। यह शोध से पहले के उस रिसर्च की भी पुष्टि हुई है जिसमें रडार के जरिये पता लगाया गया था कि मंगल ग्रह पर बर्फ के नीचे पानी है।
नासा के अंतरिक्ष यान से टकराए एस्टेरायड का मलबा 10,000 किमी तक फैला
नासा के डबल एस्टेरायड रिडायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) अंतरिक्ष यान की डिमोरफोस एस्टेरायड से कराई गई टक्कर के बाद एस्टेरायड का मलबा 10,000 किमी तक फैल गया है। चिली में एक दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर में यह मलबा नजर आ रहा है। अपनी तरह के पहले अंतरिक्ष अभियान में 26 सितंबर को नासा ने डार्ट अंतरिक्ष यान को 26 सितंबर को डिमोरफोस एस्टेरायड से टकराया था। इस अभियान का उद्देश्य एस्टेरायड के मार्ग में हुए परिवर्तन के सटीक आंकड़े पता लगाना है। टक्कर से यह भी साफ हो गया है कि नासा अंतरिक्ष में किसी एस्टेरायड से टक्कर कराने के लिए अंतरिक्षयान को नियंत्रित कर सकती है। इसके दो दिन बाद एस्टेरायड के मलबे के ढेर का पता लगाने के लिए चिली में टेलीस्कोप का उपयोग किया।