सोमवती अमावस्या का पर्व सोमवार को विधि-विधान से मनाया जाएगा। सुबह 6:39 बजे से रात 12:30 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या कृतिका नक्षत्र में शरू होकर रोहिणी नक्षत्र तक रहेगी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के व्याकरण विभाग के अध्यक्ष व काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी कहते हैैं कि सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का अत्यंत महत्व है। इस दिन सुहागिनें व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में स्नेह और सद्भाव भी बढ़ता है। इसके अलावा सुहागिनें संतान प्राप्ति के लिए भी सोमवती अमावस्या का व्रत रखती हैैं।
प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर किए गए स्नान-दान से अक्षय पुण्य मिलता है। मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। संभव हो तो पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के मंदिरों के दर्शन करने चाहिए। नियम-संयम से व्रत-पूजन करने पर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैैं।