विशेष स्मृति लेख: असाधारण जोगी- दिवाकर मुक्तिबोध

RO 12822/13
RO 12822/13

Screenshot 51
RO.No: 12879/13

अजीत जोगी पर क्या लिखूँ ? करीब दस साल पूर्व उनकी राजनीति व उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर आलोचनात्मक दृष्टि डाली थी। कई पन्नों का यह लेख ब्लाग में पड़ा रहा, बाद में कुछ पोर्टलों पर नमूदार हुआ और दिल्ली की पत्रिका ‘दुनिया इन दिनों में ‘ कव्हर स्टोरी के रूप में प्रकाशित भी हुआ। चूँकि इस आलेख में वर्ष 2010 तक की जोगी-यात्रा का समावेश है लिहाजा इसी वर्ष यानी 2020 में समाप्त होने वाले दशक में उनकी राजनीति पर कुछ और बातें की जा सकती हैं।

अजीत जोगी तीस साल और ज़िंदा रहने वाले थे। ऐसी उनकी जिजीविषा थी।अपनी नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ के गठन के पूर्व , 15-16 फ़रवरी 2016 को खरोरा में आयोजित सर्वधर्म सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था- “जो लोग मुझे बुज़ुर्ग , बेकार व अशक्त समझते हैं , उन्हें मैं बता देना चाहता हूँ कि छत्तीसगढ के हितों की रक्षा के लिए मैं अगले तीस सालों तक ज़िंदा रहूँगा ।” जोगी उस समय 71 वर्ष के थे। उनका यह कथन बताता है कि पकी हुई उम्र में भी वे युवोचित आत्मविश्वास व दृढ़ इच्छा शक्ति से लबरेज़ थे। और यकीनन इसी जीवन-शक्ति के चलते शारीरिक अशक्तता के बावजूद वे छत्तीसगढ की राजनीति में धूमकेतु की तरह छाए रहे। यह कल्पना से परे है कि वर्ष 2004 से व्हील चेयर पर बैठा व्यक्ति जिसके शरीर का निचला हिस्सा पूर्णत: निर्जीव हो गया हो, वह न केवल राजनीति की मुख्य धारा में बना रहा वरन उसे अपने इशारे पर नचाता भी रहा। ग़ज़ब के मनोबल वाले इस संघर्षशील नेता ने अपनी कतिपय कमज़ोरियों पर क़ाबू पाया होता और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाला होता तो छत्तीसगढ में कांग्रेस का राज टिका रहता व भाजपा को पनपने व लंबे समय तक सत्ता पर क़ाबिज़ रहने का मौका न मिलता। आज छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस की तस्वीर बदली है तो इसका बहुत कुछ श्रेय अजीत जोगी को दिया जाना चाहिए। क्योंकि यदि वे ग़लतियाँ नहीं करते तो इस पार्टी में नया नेतृत्व नहीं उभरता और प्रदेश कांग्रेस को संजीवनी नहीं मिलती।

Read Also  बिल्किस बनो केस:दोषियों की सजा माफी रद्द, SC ने कहा- गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग था

इसमें क्या शक कि आला दर्जे के इस ज़हीन राजनेता ने राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अपनी विशिष्ट पहिचान बनाई जो अमिट है। नए छत्तीसगढ में नए सिरे से विकास की नींव का पहिला पत्थर उन्होने ही रखा जिस पर आज कई मंज़िलें तन गई हैं। गरीब आदिवासियों , हरिजनों , मज़दूरों किसानों व खेतिहर श्रमिकों की उन्होंने सबसे ज्यादा चिंता की और सरकार की विकास योजनाओं में उन्हें प्राथमिकता पर रखा। एक व्यक्ति के रूप में जोगी की विद्वत्ता , दूरदर्शिता, विकासपरक सोच व दृढ़ता का हर कोई क़ायल रहा। सरकार कैसे चलाई जाती है, नौकरशाही को कैसे साधा जाता है, जनकल्याणकारी कार्यों में उसे कैसे गुंथा जाता है व इसके लिए दबाव व नेतृत्व का भय किस तरह तारी किया जाता है , यह केवल जोगी ही कर सकते थे और वही उन्होंने किया लेकिन ऐसा करते हुए धीरे-धीरे उनकी छवि तानाशाह की बनती चली गई। सत्ता का अहंकार हावी होते गया और विभिन्न राजनीतिक कारणों से 2003 के पहिले विधान सभा चुनाव में जब सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकल गई और वह अगले 15 वर्षों तक राज्य में सरकार नहीं बना सकी तो इसके लिए मुख्य: अजीत जोगी व उनकी राजनीति को ज़िम्मेदार ठहराया गया और वे थे भी। यदि चुनाव के पूर्व विद्दाचरण शुक्ल कांग्रेस से अलग न हुए होते व अलग पार्टी के बेनर में चुनाव न लड़ते तो भारतीय जनता पार्टी सत्ता में न आ पाती। बस यही से भाजपा के उत्थान व कांग्रेस के पतन की शुरूआत हुई। पन्द्रह वर्षों तक चला यह चक्र 2018 के चुनाव में विपरीत दिशा में घूमा हालाँकि इस बार भी जोगी ने पहिए को रोकने व अपनी तरफ मोड़ने की कम कोशिश नहीं की। किंतु सत्ता की चाबी हाथ में लेने का उनका ख़्वाब , दुबारा मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब , अंतत: ख़्वाब ही रहा।

छत्तीसगढ में शुक्ल बंधुओं , श्यामाचरण-विद्दाचरण व मोतीलाल वोरा के युग के रहते रहते ही अजीत जोगी प्रदेश के सबसे बडे नेता बन चुके थे। आम बोलचाल में शुक्ल बंधुओं व वोरा को बाहरी माना जाता है मगर जोगी के साथ ऐसा नहीं था। वे ख़ालिस छत्तीसगढ की पैदावार थे-ठेठ छत्तीसगढिया। वे इसी ज़मीन के थे। ऐसा छत्तीसगढिया नेता जिसकी लोकप्रियता बेजोड़ थी। जब वे अपनी इसी देहाती भाषा में भाषण देते थे तो शहरी व ग्रामीण जनता मंत्रमुग्ध हो जाया करती थी। राज्य में आज भी कोई ऐसा नेता नहीं है जो उनकी जैसी शानदार वक्तृत्व-कला से लोगों को मोहित करने का सामर्थ्य रखता हो। आईएएस, आईपीएस , इंजीनियर , प्रोफ़ेसर , राजनीतिक टिप्पणीकार व लेखक के रूप में अपनी ज़िंदगी में अलग रंग भरने वाले जोगी ने जब राजनीति में क़दम रखा तो उसमें भी सुनहरा रंग भरा। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद महत्वपूर्ण घटनाएँ थी शुक्ल युग की समाप्ति व जोगी युग का आग़ाज़ । हालाँकि कांग्रेस की सत्ता की दृष्टि से इस युग का भी बहुत जल्द अवसान हो गया। दरअसल नए प्रदेश के पहिले मुख्यमंत्री के ओहदे तक पहुँचा यह लोकप्रिय नेता समय की नब्ज़ को नही पकड़ सका व एक ऐसी राह पर चल पड़ा जहाँ से बदनामी भी साए की तरह चिपक गई। लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि इसके बावजूद उनकी जन-स्वीकार्यता में कोई कमी नहीं आई। मरवाही से 2018 का अपना अंतिम विधान सभा चुनाव उन्होंने रिकार्ड 74 हजार से अधिक मतों से जीता।

Read Also  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़वासियों को स्वतंत्रता दिवस पर दी महत्वपूर्ण सौगात

अजीत जोगी विध्वंसक राजनीति के पोषक रहे है। तोड़फोड़ में माहिर । विवादों से उनका गहरा नाता रहा। अपने राजनीतिक इरादों को पूरा करने के लिए हदें लाँघने में उन्होंने कोई संकोच नहीं किया। अंतागढ टेपकांड इसका एक बडा उदाहरण है। दरअसल जब घटनाओं के नतीजे विपरीत जाने लगते हैं तो सूत्रों पर आपकी पकड़ ढीली पड़ने लगती हैं और आप ग़लतियों पर ग़लतियाँ करते चले जाते हैं। जोगी से ग़लतियाँ यह हुई कि बदलते संदर्भों में वे कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को परखने व तदानुसार क़दम उठाने में विफल रहे। जब उनके विधायक बेटे को प्रदेश कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखाया तो उन्होंने धैर्य का परिचय नहीं दिया जबकि वे अच्छी तरह जानते थे कि विशालकाय पेड़ से टूटने के बाद टहनी की क्या औक़ात रहती है हालाँकि उन्होंने कठोर मेहनत से यह भी सिद्ध किया कि टूटी हुई टहनी में भी नई कोंपले फूट सकती है। इसकी मिसाल है उनके नेतृत्व में गठित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ , जिसने अपनी स्थापना केवल ढाई साल में अपने पाँच विधायक विधान सभा में पहुंचा दिए। एक नई नवेली राजनीतिक पार्टी के लिए यह उपलब्धि मामूली नहीं है।

अजीत जोगी असाधारण राजनेता थे। राज्य को उनकी ज़रूरत थी। यदि वे कुछ ठहरकर , सोच समझकर फैसले लेते, सभी के साथ सामंजस्य स्थापित करते और अपने अहम को परे रखते तो कांग्रेस की प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान पर बने रहते । वैसे भी वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में दीर्घ अवधि तक विभिन्न आला पदों पर क़ाबिज़ रहे हैं। वे ज़िंदगी के तीस साल और चाहते थे लेकिन सिर्फ तीन साल ही हासिल कर सके। पर इस अल्प अवधि में भी उन्होंने जता दिया कि प्रदेश की राजनीति में उनकी उपस्थिति कितनी जरूरी थी। वे ऐसा नेता रहे जिन्हें जनता ने उनकी तमाम कमियों के बावजूद तहेदिल से स्वीकार किया और सिर -माथे पर बिठाया। ऐसा स्नेह बिरलों को ही नसीब होता है। अजीत जोगी इस मायने में बहुत भाग्यशाली रहे।

Read Also  9वी -11वी की तिमाही परीक्षा 26 से
-दिवाकर मुक्तिबोध (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक)
Share The News




CLICK BELOW to get latest news on Whatsapp or Telegram.

 


IMG 20240918 WA0018

आईसीआईसीआई प्रू सिग्नेचर पेंशन: रिटायरमेंट बचत के लिए 100% इक्विटी विकल्प

By User 6 / September 18, 2024 / 0 Comments
भारत, सितम्बर 2024: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस ने 'आईसीआईसीआई प्रू सिग्नेचर पेंशन' लॉन्च किया है। यह एक मार्केट लिंक्ड पेंशन प्रोडक्ट है, जो ग्राहकों को कम लागत और टैक्स बचत के साथ रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद करता है। वित्तीय...
IMG 20240915 WA0029

पत्रकारों पर अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं: संयुक्त पत्रकार मोर्चा

By User 6 / September 15, 2024 / 0 Comments
2 अक्टूबर को "पत्रकारिता संकल्प महासभा" में एकजुट होंगे सभी पत्रकार संगठन   रायपुर। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न और पत्रकारिता पर प्रहार के खिलाफ राजधानी रायपुर में 14 सितंबर को पत्रकार संगठनों की संयुक्त बैठक आयोजित की...
IMG 20240916 WA0004

इस खूबसूरत अभिनेत्री के चक्कर में तीन आईपीएस अधिकारी सस्पेंड, राज्य सरकार में जारी किया आदेश, जानिए पूरा मामला

By User 6 / September 16, 2024 / 0 Comments
आंध्र प्रदेश सरकार ने एक महिला अभिनेत्री के चलते तीन आईपीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्यवाही की है। सरकार ने तीन अलग-अलग आदेश जारी करते हुए आईपीएस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। निलंबित किए गए अधिकारियों में एक डीजी रैंक...
IMG 20240914 WA0038

आंजनेय विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन, कमल शर्मा ने हिंदी भाषा की महत्ता पर दी जोर

By User 6 / September 14, 2024 / 0 Comments
रायपुर। आंजनेय विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय द्वारा शनिवार को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक कमल शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व और आकाशवाणी के...
mout

नाली की सफाई करवाने के दौरान सुपरवाइजर की मौत

By Rakesh Soni / September 15, 2024 / 0 Comments
रायगढ़।  नगर निगम के प्लेसमेंट सफाई सुपरवाइजर की अज्ञात कारण से मौत हो गई। घटना उस समय घटित हुई जब वह वार्ड नंबर 32 स्थित जगदेव स्कूल के पीछे नाली सफाई का काम करवा रहा था। पार्षद और अन्य मोहल्ले...
injan

गया में खेत में मिला ट्रेन का इंजन

By Rakesh Soni / September 15, 2024 / 0 Comments
बिहार के गया में खेत के बीच में रेल इंजन देखकर स्थानीय लोग हैरान रह गए। वजीरगंज स्टेशन और कोल्हना हॉल्ट के बीच रघुनाथपुर गांव में इंजन पटरी से उतर गया और खेत में जा गिरा। इस घटना में किसी...
IMG 20240914 WA0020

प्रधानमंत्री के फैसलों से छत्तीसगढ़ के किसानों को लाभ: मुख्यमंत्री साय

By User 6 / September 14, 2024 / 0 Comments
रायपुर, 14 सितंबर 2024 – प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और उनकी समृद्धि के लिए उठाए गए कदमों से छत्तीसगढ़ के किसानों को भी लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री के फैसलों का स्वागत करते हुए कहा...
IMG 20240914 WA0026

भोजराज पटेल बने मुंगेली के एसपी, गिरिजा शंकर पहुंचे पुलिस मुख्यालय…

By User 6 / September 14, 2024 / 0 Comments
छत्तीसगढ़ सरकार ने शनिवार को जारी आदेश में दो भारतीय पुलिस सेवा के दो अधिकारियों का तबादला किया गया है। इसमें 15वीं वाहिनी बीजापुर में पदस्थ सेनानी भोजराज पटेल को मुंगेली जिला का पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। वहीं...
bhed

गरियाबंद के धवलपुर एवं टाईगर रिजर्व के जंगल में घुंसे राजस्थानी भेड़ और बकरियां

By Rakesh Soni / September 15, 2024 / 0 Comments
गरियाबंद। गरियाबंद वन मंडल अन्तर्गत वन परिक्षेत्र धवलपुर वन परिक्षेत्र के जंगलो में राजस्थनी एवं गुजरात के भेड़ बकरियां ऊंट वनस्पत्ति जंगलो को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े से जंगल में डेरा डाले हुए है जिसके लगातार...
IMG 20240914 WA0005

महादेव सट्टा एप मामले 4 की बढ़ी रिमांड, 19 सितंबर को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई

By User 6 / September 14, 2024 / 0 Comments
रायपुर। महादेव सट्टा एप से जुड़े मामले में शुक्रवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई यह सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई। जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट...

Leave a Comment