विशेष स्मृति लेख: असाधारण जोगी- दिवाकर मुक्तिबोध



अजीत जोगी पर क्या लिखूँ ? करीब दस साल पूर्व उनकी राजनीति व उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर आलोचनात्मक दृष्टि डाली थी। कई पन्नों का यह लेख ब्लाग में पड़ा रहा, बाद में कुछ पोर्टलों पर नमूदार हुआ और दिल्ली की पत्रिका ‘दुनिया इन दिनों में ‘ कव्हर स्टोरी के रूप में प्रकाशित भी हुआ। चूँकि इस आलेख में वर्ष 2010 तक की जोगी-यात्रा का समावेश है लिहाजा इसी वर्ष यानी 2020 में समाप्त होने वाले दशक में उनकी राजनीति पर कुछ और बातें की जा सकती हैं।

अजीत जोगी तीस साल और ज़िंदा रहने वाले थे। ऐसी उनकी जिजीविषा थी।अपनी नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ के गठन के पूर्व , 15-16 फ़रवरी 2016 को खरोरा में आयोजित सर्वधर्म सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था- “जो लोग मुझे बुज़ुर्ग , बेकार व अशक्त समझते हैं , उन्हें मैं बता देना चाहता हूँ कि छत्तीसगढ के हितों की रक्षा के लिए मैं अगले तीस सालों तक ज़िंदा रहूँगा ।” जोगी उस समय 71 वर्ष के थे। उनका यह कथन बताता है कि पकी हुई उम्र में भी वे युवोचित आत्मविश्वास व दृढ़ इच्छा शक्ति से लबरेज़ थे। और यकीनन इसी जीवन-शक्ति के चलते शारीरिक अशक्तता के बावजूद वे छत्तीसगढ की राजनीति में धूमकेतु की तरह छाए रहे। यह कल्पना से परे है कि वर्ष 2004 से व्हील चेयर पर बैठा व्यक्ति जिसके शरीर का निचला हिस्सा पूर्णत: निर्जीव हो गया हो, वह न केवल राजनीति की मुख्य धारा में बना रहा वरन उसे अपने इशारे पर नचाता भी रहा। ग़ज़ब के मनोबल वाले इस संघर्षशील नेता ने अपनी कतिपय कमज़ोरियों पर क़ाबू पाया होता और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाला होता तो छत्तीसगढ में कांग्रेस का राज टिका रहता व भाजपा को पनपने व लंबे समय तक सत्ता पर क़ाबिज़ रहने का मौका न मिलता। आज छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस की तस्वीर बदली है तो इसका बहुत कुछ श्रेय अजीत जोगी को दिया जाना चाहिए। क्योंकि यदि वे ग़लतियाँ नहीं करते तो इस पार्टी में नया नेतृत्व नहीं उभरता और प्रदेश कांग्रेस को संजीवनी नहीं मिलती।

Read Also  निठारी कांड-19 लड़कियों को मारकर खाने के दोषियों को फांसी नहीं

इसमें क्या शक कि आला दर्जे के इस ज़हीन राजनेता ने राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अपनी विशिष्ट पहिचान बनाई जो अमिट है। नए छत्तीसगढ में नए सिरे से विकास की नींव का पहिला पत्थर उन्होने ही रखा जिस पर आज कई मंज़िलें तन गई हैं। गरीब आदिवासियों , हरिजनों , मज़दूरों किसानों व खेतिहर श्रमिकों की उन्होंने सबसे ज्यादा चिंता की और सरकार की विकास योजनाओं में उन्हें प्राथमिकता पर रखा। एक व्यक्ति के रूप में जोगी की विद्वत्ता , दूरदर्शिता, विकासपरक सोच व दृढ़ता का हर कोई क़ायल रहा। सरकार कैसे चलाई जाती है, नौकरशाही को कैसे साधा जाता है, जनकल्याणकारी कार्यों में उसे कैसे गुंथा जाता है व इसके लिए दबाव व नेतृत्व का भय किस तरह तारी किया जाता है , यह केवल जोगी ही कर सकते थे और वही उन्होंने किया लेकिन ऐसा करते हुए धीरे-धीरे उनकी छवि तानाशाह की बनती चली गई। सत्ता का अहंकार हावी होते गया और विभिन्न राजनीतिक कारणों से 2003 के पहिले विधान सभा चुनाव में जब सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकल गई और वह अगले 15 वर्षों तक राज्य में सरकार नहीं बना सकी तो इसके लिए मुख्य: अजीत जोगी व उनकी राजनीति को ज़िम्मेदार ठहराया गया और वे थे भी। यदि चुनाव के पूर्व विद्दाचरण शुक्ल कांग्रेस से अलग न हुए होते व अलग पार्टी के बेनर में चुनाव न लड़ते तो भारतीय जनता पार्टी सत्ता में न आ पाती। बस यही से भाजपा के उत्थान व कांग्रेस के पतन की शुरूआत हुई। पन्द्रह वर्षों तक चला यह चक्र 2018 के चुनाव में विपरीत दिशा में घूमा हालाँकि इस बार भी जोगी ने पहिए को रोकने व अपनी तरफ मोड़ने की कम कोशिश नहीं की। किंतु सत्ता की चाबी हाथ में लेने का उनका ख़्वाब , दुबारा मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब , अंतत: ख़्वाब ही रहा।

छत्तीसगढ में शुक्ल बंधुओं , श्यामाचरण-विद्दाचरण व मोतीलाल वोरा के युग के रहते रहते ही अजीत जोगी प्रदेश के सबसे बडे नेता बन चुके थे। आम बोलचाल में शुक्ल बंधुओं व वोरा को बाहरी माना जाता है मगर जोगी के साथ ऐसा नहीं था। वे ख़ालिस छत्तीसगढ की पैदावार थे-ठेठ छत्तीसगढिया। वे इसी ज़मीन के थे। ऐसा छत्तीसगढिया नेता जिसकी लोकप्रियता बेजोड़ थी। जब वे अपनी इसी देहाती भाषा में भाषण देते थे तो शहरी व ग्रामीण जनता मंत्रमुग्ध हो जाया करती थी। राज्य में आज भी कोई ऐसा नेता नहीं है जो उनकी जैसी शानदार वक्तृत्व-कला से लोगों को मोहित करने का सामर्थ्य रखता हो। आईएएस, आईपीएस , इंजीनियर , प्रोफ़ेसर , राजनीतिक टिप्पणीकार व लेखक के रूप में अपनी ज़िंदगी में अलग रंग भरने वाले जोगी ने जब राजनीति में क़दम रखा तो उसमें भी सुनहरा रंग भरा। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद महत्वपूर्ण घटनाएँ थी शुक्ल युग की समाप्ति व जोगी युग का आग़ाज़ । हालाँकि कांग्रेस की सत्ता की दृष्टि से इस युग का भी बहुत जल्द अवसान हो गया। दरअसल नए प्रदेश के पहिले मुख्यमंत्री के ओहदे तक पहुँचा यह लोकप्रिय नेता समय की नब्ज़ को नही पकड़ सका व एक ऐसी राह पर चल पड़ा जहाँ से बदनामी भी साए की तरह चिपक गई। लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि इसके बावजूद उनकी जन-स्वीकार्यता में कोई कमी नहीं आई। मरवाही से 2018 का अपना अंतिम विधान सभा चुनाव उन्होंने रिकार्ड 74 हजार से अधिक मतों से जीता।

Read Also  स्व.अजीत जोगी को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

अजीत जोगी विध्वंसक राजनीति के पोषक रहे है। तोड़फोड़ में माहिर । विवादों से उनका गहरा नाता रहा। अपने राजनीतिक इरादों को पूरा करने के लिए हदें लाँघने में उन्होंने कोई संकोच नहीं किया। अंतागढ टेपकांड इसका एक बडा उदाहरण है। दरअसल जब घटनाओं के नतीजे विपरीत जाने लगते हैं तो सूत्रों पर आपकी पकड़ ढीली पड़ने लगती हैं और आप ग़लतियों पर ग़लतियाँ करते चले जाते हैं। जोगी से ग़लतियाँ यह हुई कि बदलते संदर्भों में वे कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को परखने व तदानुसार क़दम उठाने में विफल रहे। जब उनके विधायक बेटे को प्रदेश कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखाया तो उन्होंने धैर्य का परिचय नहीं दिया जबकि वे अच्छी तरह जानते थे कि विशालकाय पेड़ से टूटने के बाद टहनी की क्या औक़ात रहती है हालाँकि उन्होंने कठोर मेहनत से यह भी सिद्ध किया कि टूटी हुई टहनी में भी नई कोंपले फूट सकती है। इसकी मिसाल है उनके नेतृत्व में गठित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ , जिसने अपनी स्थापना केवल ढाई साल में अपने पाँच विधायक विधान सभा में पहुंचा दिए। एक नई नवेली राजनीतिक पार्टी के लिए यह उपलब्धि मामूली नहीं है।

अजीत जोगी असाधारण राजनेता थे। राज्य को उनकी ज़रूरत थी। यदि वे कुछ ठहरकर , सोच समझकर फैसले लेते, सभी के साथ सामंजस्य स्थापित करते और अपने अहम को परे रखते तो कांग्रेस की प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान पर बने रहते । वैसे भी वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में दीर्घ अवधि तक विभिन्न आला पदों पर क़ाबिज़ रहे हैं। वे ज़िंदगी के तीस साल और चाहते थे लेकिन सिर्फ तीन साल ही हासिल कर सके। पर इस अल्प अवधि में भी उन्होंने जता दिया कि प्रदेश की राजनीति में उनकी उपस्थिति कितनी जरूरी थी। वे ऐसा नेता रहे जिन्हें जनता ने उनकी तमाम कमियों के बावजूद तहेदिल से स्वीकार किया और सिर -माथे पर बिठाया। ऐसा स्नेह बिरलों को ही नसीब होता है। अजीत जोगी इस मायने में बहुत भाग्यशाली रहे।

Read Also  मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना: बेटियों की शादी की चिंता हुई दूर
-दिवाकर मुक्तिबोध (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक)
Share The News




CLICK BELOW to get latest news on Whatsapp or Telegram.

 


IMG 20241201 WA0039

ट्रक-कार की टक्कर…4 दोस्तों की मौत, एयर बैग खुले पर नहीं बची जान

By Rakesh Soni / December 1, 2024 / 0 Comments
से मैनपाट जा रहे थे, कुछ घंटे पहले रील भी बनाई सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तेज रफ्तार ट्रक ने NH-130 पर कार सवारों को टक्कर मार दी। हादसे में 4 दोस्तों की मौत हो गई। इनमें से एक...
IMG 20241130 WA0016

La Nina effect: अगले तीन महीने उत्तर भारत के लिए कठिन, पड़ेगी कड़ाके की सर्दी, दिसंबर में भारी बारिश की चेतावनी

By User 6 / November 30, 2024 / 0 Comments
दिल्ली। मौसम विभाग ने इस बार सर्दी के मौसम को लेकर एक बड़ी चेतावनी जारी की है। IMD के अनुसार, इस बार उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ सकता है। अगले तीन महीने उत्तर भारत के...
dajal takara ma lga aaga 41d40a9601999bd1b6095a8650fab36f

जिंदल कंपनी के गेट नंबर-2 के सामने खड़े डीजल टैंकर में लगी आग, काबू पाने में जुटा दमकल विभाग

By Rakesh Soni / December 1, 2024 / 0 Comments
रायगढ़।रायगढ़ जिले में रविवार की सुबह जेपीएल के गेट नंबर-2 के पास खड़ी डीजल टैंकर में अचानक आग लग जाने से हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई। घटना की जानकारी के बाद तमनार पुलिस के आलावा फायर ब्रिगेड की टीम...
IMG 20241201 155234

यहां किराये पर मिल रही बीवियां

By User 6 / December 1, 2024 / 0 Comments
थाईलैंड में रेंटल वाइफ का चलन बढ़ रहा है। ऐसी बीवियों को ब्लैक पर्ल भी कहा जाता है। थाईलैंड के पटाया में यह विवादास्पद प्रथा है। यहां लोग इसे ‘भाड़े पर पत्नी’ वाइफ आन हायर उद्योग कहते हैं। ये विवाह...
IMG 20241130 WA0008

वरना शरीर बन जाएगा बीमारियों का घर! संबंध बनाने से पहले भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन

By User 6 / November 30, 2024 / 0 Comments
Physical Relation: व्यक्ति को शारीरिक संबंध बनाने से पहले कई सावधानियां बरतने की जरूरी होती हैं. इन चीजों में डाइट से जुड़ी चीजों का ख्याल रखना भी शामिल है. मतलब यह है कि शारीरिक संबंध बनाने से पहले कुछ खाद्य...
mob

भूलकर भी तकिए के नीचे Mobile रखकर न सोएं

By Reporter 1 / November 27, 2024 / 0 Comments
Mobile फ़ोन 24 घंटे हमारे साथ रहता है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि जागते वक्त तो ये हमारे हाथ में रहता ही है या फिर पेंट की जेब में या बैग में, और अधिकांश लोग सोते वक्त इसे...
BeFunky design 74 1 1 768x432

SDM के सरकारी वाहन की टक्कर से पहली कक्षा का छात्र घायल, जांच में जुटी पुलिस

By Rakesh Soni / November 29, 2024 / 0 Comments
गरियाबंद।जिले के देवभोग में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां निजी स्कूल से छुट्टी के बाद घर जा रहे पहली कक्षा के छात्र को एसडीएम के सरकारी वाहन ने टक्कर मार दी। इस हादसे में छात्र गंभीर रूप से घायल हो...
IMG 20241201 WA0012

ड्रोन तकनीक से सशक्त हुई चंद्रकला वर्मा, खरीफ और रबी सीजन में कमाए दो लाख रुपए

By User 6 / December 1, 2024 / 0 Comments
रायपुर, 30 नवंबर 2024 – रायपुर जिले के नगपुरा गांव की चंद्रकला वर्मा ने ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दी है। महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत "नमो ड्रोन दीदी योजना" के तहत चंद्रकला को ड्रोन संचालन...
IMG 20241130 WA0007

उम्मीदों पर फिर गया पानी! अब ये नेता बनेगा महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री, फटी रह गई सबकी आंखें

By User 6 / November 30, 2024 / 0 Comments
Maharashtra New CM: महाराष्ट्र में सीएम को लेकर तो विवाद लगभग समाप्त हो गया है. लेकिन अब मंत्रालयों को लेकर खींचतान जारी है. अचानक घटक दलों की गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात ने सारे दावों को खोखला साबित कर...
IMG 20241130 WA0006

BIG NEWS: सरकार का बड़ा फैसला, भारत में डीजल वाहन हुए बैन! फाइल तैयार

By User 6 / November 30, 2024 / 0 Comments
Diesel Vehicle Ban In India: दिसंबर माह शुरु होने में सिर्फ कुछ ही घंटे शेष बचे हैं. लेकिन दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के हालात जस के तस बने हुए हैं. कई इलाकों में तो एक्यूआई लेवल 400 के पार पहुंचा...

Leave a Comment