तीन नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी कहते हुए पंजाब में सत्तारुढ कांग्रेस और विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) विरोध कर रहे है। मगर जमीनी सच्चाई है कि पंजाब के कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में तो किसान को सख्त सजा तक का प्रावधान है। इतना ही नहीं कानून में पांच लाख तक का जुर्माना भी देना होगा। यह काला कानून पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह के नेतृत्व वाली शिअद की सरकार ने बनाया था। पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भी न तो इस कानून को रद किया और नहीं संशोधन किए। मगर आज दोनों ही दल तीनों नए कृषि कानूनों का विरोध का कर रहे हैं।
गौर हो कि अकाली-भाजपा सरकार ने 2013 में पंजाब फार्मिंग कांट्रैक्ट एक्ट पारित किया था। इसके तहत करार करने वाली कंपनी या किसान में से कोई भी कांट्रैक्ट को तोड़ता है तो एक महीने की सजा हो सकती है। व्यापारी के लिए एक महीने की सजा के साथ एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इस जुर्माने की राशि दस लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसान कांट्रैक्ट तोड़ता है तो उसे भी न्यूनतम पांच हजार रुपये जुर्माना देना होगा, जिसे पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। उसको भी सजा हो सकती है। दूसरी ओर केंद्र के नए कृषि कानूनों में किसानों को सजा का प्रावधान नहीं है।
संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इन्हीं प्रविधानों के कारण पंजाब के कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को लेकर कांग्रेस के विरोध पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब के कांट्रैक्ट एक्ट की तुलना केंद्रीय कानून से की जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि कांग्रेस व शिअद का विरोध मात्र दिखावा है। सच्चाई यह है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने केंद्र के कृषि कानून के विरोध में तो विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया, लेकिन पहले से पंजाब में बने इस कानून को रद करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इससे उसका दोहरा रवैया सामने आता है।
केंद्रीय कृषि मंत्री के आरोपों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सफाई दी कि इस कानून के नियम पूर्ववर्ती सरकार ने बनाए हैं, इसलिए यह एक्ट बना तो जरूर, पर लागू नहीं किया गया। हमने तब भी इसका विरोध किया था। उस समय अकाली-भाजपा सरकार ने इसे पारित करवाया था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को यह भी स्पष्ट करना चाहिए था कि पंजाब में भी उनकी पार्टी की सरकार ने ही यह कानून बनाया था।
वहीं शिअद नेता डा. दलजीत सिह चीमा ने कहा कि हमने जो एक्ट बनाया था, उस पर एक भी किसान संगठन ने विरोध नहीं जताया था। अगर केंद्र सरकार के कानून इतने ही अच्छे हैं तो देशभर के किसान उनका विरोध क्यों कर रहे हैं? हमारे एक्ट में जेल का प्रावधान है तो पिछले आठ साल में वह एक भी मामला बता सकते हैं, जिसमें किसान को जेल हुई हो।
आश्चर्यजनक बात यह रही कि जब दोनों से पूछा गया अगर पंजाब का कानून लागू होने के बाद किसी ने विरोध नहीं किया और न ही किसी किसान को जेल हुई तो आज विरोध क्यों किया जा रहा है। किसान के नाम पर कोई और एजेंडा तो नहीं है। इसका जवाब किसी के पास नहीं था। दोनों ने सवाल को ही टाल दिया।