मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अपने सामाजिक कार्यों के लिए पुलिस विभाग में चर्चित अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल का एक और अनूठा कार्य समाज के सामने आया है। इस बार उन्होंने एक सहरिया आदिवासी बच्चे को न सिर्फ स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उसे लकड़ी का गट्ठा उठाकर जंगल से लकड़ी बीन का लाने जैसे कार्य से भी विमुख किया है। उनका कहना है कि बच्चे और पौधे एक जैसे होते हैं जिनके इर्द-गिर्द नकारात्मक चीजें पनपती रहती हैं और उन्हें जल्द ही प्रभावित भी कर लेती हैं। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनकी एक माली की तरह देखभाल बेहद जरूरी होती है। स्कूल खुल चुके हैं, स्कूल चलो अभियान चल रहा है ऐसे में हम सभी की जिम्मेवारी बच्चों को स्कूल भेजने की है। ग्रामीण क्षेत्र के खासकर दलित और आदिवासी परिवारों के बच्चे सरकार की लाख कोशिशों और सुविधाओं के बावजूद स्कूल नहीं जा पाते हैं।
घाटीगांव क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस संतोष कुमार पटेल ने अपने ग्रामीण भ्रमण के दौरान दो बच्चों को सिर पर लकड़ी के गट्ठे उठाए हुए देखा तो उन्होंने अपना वाहन रुकवा दिया और उनसे पूछताछ शुरू की। उनसे पूछा कि वे स्कूल जाने की उम्र में सिर पर लकड़ी के गट्ठे उठाकर क्यों घूम रहे हैं? उन्होंने दोनों बच्चों से बातचीत की उनके पास गाड़ी में मौजूद बच्चे की स्कूल की ड्रेस बैग सहित कुछ अन्य खाद्य सामग्री देकर उनका न सिर्फ खुद स्कूल में नाम लिखवाने गए, बल्कि उन्होंने बच्चों से प्रॉमिस भी लिया है कि वे अब निरंतर स्कूल जाएंगे। इससे पहले उन्होंने आदिवासी बच्चे को सड़क पर ही तैयार किया और उसे स्कूल प्राइमरी स्कूल कंचन सिंह का पुरा में छोड़ने तक गए। बच्चों के माता-पिता अपनी गरीबी और बेबसी के कारण स्कूल उन्हें स्कूल भेजने के प्रति गंभीर नहीं है उनके लिए सबसे बड़ी समस्या और जरूरत रोज कमाने खाने की है।
एसडीओपी संतोष पटेल ने बताया कि उनके पास एक सेट स्कूल के बच्चे की ड्रेस और सामग्री थी, जिसे उन्होंने भारत आदिवासी नाम के बच्चे को दे दिया है। उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में ड्रेस के अलावा पठन सामग्री मध्यान्ह भोजन आदि सभी कुछ दिया जाता है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें न कि उन्हें मजदूरी करने के लिए जंगल में भेजें।