सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और 63 अन्य को एसआइटी द्वारा दी गई क्लीनचिट पर मुहर लगा दी। शीर्ष अदालत ने क्लीनचिट पर सवाल उठाने वाली और गुजरात दंगों के पीछे उच्च स्तरीय बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली जकिया जाफरी की याचिका आधारहीन बताते हुए न सिर्फ खारिज कर दी, बल्कि सख्त लहजे में कहा कि मामले को गर्म बनाए रखने के लिए आधारहीन और गलत बयानी से भरी याचिका दाखिल की गई। आरोपों का समर्थन करने वाला ऐसा कोई सुबूत नहीं है, जिससे साबित हो कि गोधरा की घटना के बाद राज्य में हुई हिसा के पीछे उच्च स्तरीय साजिश थी और यह पूर्व नियोजित थी। एसआइटी की फाइनल रिपोर्ट हर पहलू पर विश्लेषणात्मक और तर्कों पर आधारित है, जिसमें व्यापक साजिश के आरोपों को नकारा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उन अधिकारियों के खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की भी पैरवी की, जिन्होंने मामले को सनसनीखेज और राजनीतिक रूप से गर्म बनाने का प्रयास किया।
यह फैसला न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व नेता अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनाया है। कोर्ट ने 452 पेज के विस्तृत फैसले में याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का एसआइटी रिपोर्ट में किया गया बिंदुवार विश्लेषण दर्ज किया है। कोर्ट ने मुद्दे को गर्म रखने पर भी टिप्पणी की। कहा कि यह मामला पिछले 16 वर्षों से चल रहा है। आठ जून, 2006 को 67 पृष्ठ की शिकायत दी गई। फिर 15 अप्रैल, 2013 को 514 पृष्ठों की प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की गई, जिसमें प्रक्रिया में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की निष्ठा पर सवाल उठाए गए। जाहिर है कि इस मामले को गर्म रखने की दुर्भावना से यह किया गया था।
कोर्ट ने आगे जांच की संभावना खत्म करते हुए कहा कि जांच के दौरान एकत्रित सामग्री से इस बात की शंका पैदा नहीं होती कि राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुई हिसा के पीछे बड़ी साजिश थी या जिन पर आरोप लगाए गए हैं, उनके उसमें शामिल होने का कोई संकेत मिलता हो। एसआइटी ने जांच में एकत्र सारे रिकार्ड और सामग्री को देखने के बाद अपनी राय दी है। व्यापक साजिश की आगे जांच का सवाल तभी उठता है, जबकि उस बारे में कोई नई सामग्री या सूचना हो, जो कि इस केस में नहीं है।
कोर्ट ने कहा, एसआइटी की फाइनल रिपोर्ट जैसी है, वैसी ही स्वीकार होनी चाहिए। उसमें और कुछ करने की जरूरत नहीं है। फैसले में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट ने एसआइटी की आठ फरवरी, 2012 को दाखिल रिपोर्ट को देखने और उस पर स्वतंत्र रूप से सोचने-विचारने के बाद स्वीकार किया और एसआइटी को आगे कोई निर्देश नहीं दिया। पीठ ने कहा कि मामले को देखने के बाद वह एसआइटी की फाइनल रिपोर्ट स्वीकार करने और याचिकाकर्ता की प्रोटेस्ट पिटीशन खारिज करने के मजिस्ट्रेट के फैसले को सही ठहराती है। याचिकाकर्ता की अपील आधारहीन है। इसलिए खारिज की जाती है। इस मामले में मजिस्ट्रेट के प्रोटेस्ट पिटीश्ान खारिज करने के बाद हाई कोर्ट से भी निराश होकर जकिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एसआइटी द्वारा मोदी सहित 64 लोगों को क्लीनचिट देने वाली फाइलन रिपोर्ट को चुनौती दी थी। जकिया ने आरोप लगाया था कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के पीछे उच्च स्तरीय बड़ी साजिश थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसआइटी की सराहना करते हुए कहा है कि जांच और रिपोर्ट में कोई खामी नहीं है। रिपोर्ट तर्कों पर आधारित है। उसमें सभी पहलुओं पर विचार किया गया है और लगाए गए आरोपों को नकारा गया है।
कब क्या हुआ
-27 फरवरी, 2002 : अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस से लौट रहे 59 कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर कोच में आग लगाकर जिंदा जलाया गया।
-28 फरवरी, 2002 : उग्र भीड़ ने गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला कर दिया। इसमें जकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए।
-08 जून, 2006 : जकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी समेत अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन पर दंगे की साजिश रचने का आरोप लगाया।
-26 मार्च, 2008 : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता में विशेष जांच दल का गठन किया।
-08 मार्च, 2012 : एसआइटी ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। इसमें मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट दी गई। कहा-अभियोजन लायक सुबूत नहीं।
-05 अक्टूबर, 2017 : एसआइटी रिपोर्ट के खिलाफ जकिया की याचिका गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज की।
-12 सितंबर, 2018 : हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने को जकिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
-24 जून, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने जकिया की याचिका खारिज की। मोदी, अन्य को क्लीनचिट बरकरार रखा।