
जिस गांव के नाम पर संचालित एसइसीएल की बलरामपुर भूमिगत परियोजना ने लांगवाल पद्धति के जरिए कोयला उत्पादन कर विश्व स्तर पर कीर्तिमान हासिल करने का गौरव प्राप्त किया हो, उसी बलरामपुर गांव की स्थिति बदहाल है। वहां के ग्रामीण पानी और बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं जल संकट के कारण गांव के महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे एसईसीएल की बंद पोखरिया खदान में लबालब भरे पानी में जान जोखिम में डालकर नहाने और कपड़े धोने को मजबूर हैं। वहीं ग्रामवासियों को प्यास बुझाने पोखरी जाकर पानी लाना पड़ता है।
नगर से आठ किलोमीटर दूर स्थित सूरजपुर विकासखंड का बलरामपुर गांव कोयला खान प्रभावित गांव है। इस गांव की आबादी करीब डेढ़ हजार है। इसी गांव के नाम से एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की बलरामपुर भूमिगत परियोजना संचालित है। एक समय चाइना की लांगवाल पद्धति से कोयला उत्पादन कर इस खदान ने विश्व स्तर पर गौरव हासिल किया था। उसके बावजूद एसइसीएल प्रबंधन और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस पूरे गांव की आबादी पानी और बिजली जैसी अनेक बुनियादी सुविधाओं की मोहताज है। राजनीतिक उपेक्षा के साथ-साथ प्रशासनिक उदासीनता के कारण बलरामपुर गांव में रहने वाली आबादी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
इस गांव में देश के पूर्व राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित जनजाति पंडो समाज के लोगों के साथ ही रजवार, घसिया, लोहार व आदिवासी वर्ग के ग्रामीण निवास करते हैं। गांव के पंडो पारा में कहने को तो दो हैंडपंप हैं, लेकिन दोनों हैंडपंपों का पानी पीने योग्य नहीं है। मोहल्ले वासी मोहल्ले के ही रमेशर राजवाड़े के घर के कुंए से प्यास बुझाने को मजबूर हैं। इसी प्रकार पटेल पारा का एकमात्र हैंडपंप ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी है। यही हाल लोहार पारा के एकमात्र हैंडपंप का है, जिससे लाल पानी निकलता है। महादेव पारा के एकमात्र हैंडपंप से करीब दो सौ की आबादी पानी भरने को मजबूर है। गांव के सभी मोहल्लों में जल का भारी संकट है। पानी के लिए ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
जल संकट की भयावह स्थिति के कारण पूर्व विधायक स्वर्गीय रविशंकर त्रिपाठी के प्रयास से एसइसीएल प्रबंधन द्वारा वर्ष 2010 में सीएसआर के अंतर्गत सरकारी स्कूल के बाजू में नलकूप खनन सहित पानी टंकी निर्माण एवं नल की व्यवस्था की गई थी किंतु महीने भर में ही एसइसीएल द्वारा की गई यह व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई और नलकूप व पानी टंकी शो-पीस बनी पड़ी है। इस आशय की बार-बार शिकायत के बावजूद एसइसीएल प्रबंधन ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब ही नहीं समझा।
ग्रामवासियों ने बताया कि भारी जल संकट के साथ ही गांव में बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह लचर है। गांव में एलटी लाइन के तारों की स्थिति अत्यंत खस्ताहाल है। तेज हवा चलते ही कई-कई दिनों तक गांव में ब्लैकआउट की स्थिति बनी रहने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव में गिने-चुने जिन लोगों के घरों में ट्यूबवेल है उन्हें भी पानी के लिए पोखरी, ढोड़ी अथवा कुमदा कालोनी जाना पड़ता है। इस समस्या की भी बार-बार शिकायत किए जाने के बावजूद व्यवस्था जस की तस है। समस्याओं से जूझ रहे ग्रामवासी शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली से काफी व्यथित हैं।
क्षेत्र में असुरक्षित पड़ी एसइसीएल की बंद पोखरिया खदानें मौतों का पर्याय बन चुकी है। पोखरी के नाम से जाने जाने वाली बंद पोखरिया का खदानों में लाखों गैलन पानी का अथाह भंडार है। कोयला उत्पादन के बाद डीजीएमएस के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए एसईसीएल प्रबंधन द्वारा असुरक्षित ढंग से छोड़ दी गई बंद पोखरिया खदानें दर्जनों लोगों की मौत का कारण बन चुकी है। बलरामपुर गांव से लगी बंद पोखरिया खदान नंबर नौ में लबालब भरे पानी में नहाते समय डूबने से करीब पांच माह पूर्व एक युवक की मौत हो गई थी। विकराल जल संकट से जूझ रहे बलरामपुर गांव ग्रामीण महिलाओं से लेकर पुरुष एवं बच्चे नहाने से लेकर कपड़े धोने के लिए पोखरी में मौत के करीब जाने को मजबूर हैं।
वार्ड क्रमांक 8 की पंच सुमारी बाई ने शासन-प्रशासन के खिलाफ खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि प्रशासनिक अक्षमता के कारण आज भी ग्रामवासी समस्याओं के बीच जीवन यापन करने को मजबूर हैं। उनकी समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नहीं है।
छात्रा चंद्रमणि पंडो ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के दत्तक पुत्र पंडो जाति के सदस्य बलरामपुर गांव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की समस्याओं से किसी को कोई सरोकार नहीं है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पोखरी के लबालब पानी में नहाने और कपड़ा धोने को मजबूर है। आए दिन ब्लैक आउट की स्थिति निर्मित होने से विद्यार्थियों का शैक्षणिक भविष्य संकट में है।
नवविवाहिता सितारा पंडो ने कहा कि उसने पानी और बिजली का संकट अपने मायके में कभी नहीं देखा। यहां व्याप्त बुनियादी सुविधाओं के संकट से उसका जीवन नारकीय लगने लगा है। गांव गरीब का विकास करने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार को ग्राम वासियों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करने में दिलचस्पी दिखानी चाहिए, ताकि ग्रामीणों का विश्वास राज्य सरकार के प्रति कायम रह सके।
उपसरपंच संजय राजवाड़े ने कहा कि पानी और बिजली के भयावह संकट के कारण ग्राम वासियों का जीवन नर्क हो गया है। शासन प्रशासन से लेकर मंत्री और नेताओं तक वर्षों से शिकायत की जा रही है, किंतु किसी को ग्रामवासियों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। शासन और सरकार अखबारों और प्रचार-प्रसार के माध्यम से गांव गरीब का विकास करने का दावा कर ग्रामीणों के साथ अन्याय कर रही है।