अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय स्थित केक स्कूल आफ मेडिसन से जुड़े शोधकर्ताओं ने संभवत: पहली बार बिज इटिग डिसआर्डर (बीईडी) से पीड़ित लड़के व लड़कियों के मस्तिष्क की तुलना की और पाया कि दोनों की दिमागी संरचना में अंतर होता है। शोध निष्कर्ष हाल ही में साइकोलाजिकल मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। बीईडी एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित बार-बार अनियंत्रित मात्रा में भोजन करते हैं।
पूर्व के अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रारंभिक अवस्था में ही यह बीमारी मस्तिष्क में पनपने लगती है। इस सिद्धांत पर आधारित नवीन अध्ययन बीमारी के तंत्रिका जीव विज्ञान तथा लड़का व लड़कियों में इसकी भिन्नता को समझने में मदद करता है। यह अध्ययन इसका महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध करता है कि शोध में पुरुषों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि बीईडी की उत्पत्ति के बारे में पता लगाया जा सके। पूर्व के अध्ययन में पुरुषों को शामिल नहीं किया गया था।
केक स्कूल आफ मेडिसिन में मनोविज्ञान एवं व्यवहार विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डेला मार्टिन ने कहा, “दशकों से भोजन संबंधी विकारों पर आधारित शोध से पुरुषों को दूर रखा गया है। महिलाओं पर अध्ययन के बाद इलाज विकसित किए गए और उन्हीं का पुरुषों पर भी इस्तेमाल किया गया। यह मान लिया गया कि महिलाओं के लिए विकसित इलाज पुरुषों पर भी प्रभावी होंगे।” अध्ययन के लिए अमेरिका के एडोलेसेंट काग्निटिव डेवलपमेंट स्टडी के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया।