
देश के सबसे बड़े हीरा खदान में सुरक्षा के लिए चौकीदार भी तैनात नहीं है। गरियाबंद के जंगलों के बीच बहूमुल्य हीरा एलेक्जेंडर बिखरे पड़े हैं। नतीजा यह है कि तस्करों ने हीरा खदान में बुरी तरह से अवैध उत्खनन किया है, जिससे कुएं और सुरंग की तरह बडे-बडे गढ्ढे ही दूर-दूर तक दिखाई पड़ते हैं। हालांकि हीरा खदान की सुरक्षा के लिए चारों तरफ से लोहे के तार और ऐंगल से घेरा लगाया गया था और खदान के सामने बड़ा मुख्य लोहे का विशाल गेट लगा था। तस्करों ने तार के घेरा और मुख्य गेट तक गायब कर दिया। इतना ही नहीं हीरा खदान मार्ग में बडे-बडे गढ्ढों के साथ पेड़ गिरा दिये हैं, ताकि प्रशासनिक अमला वहां तक आसानी पहूंच न सके।
पिछले 10 वर्षों का पुलिस थाना में अवैध हीरा तस्करी करने वालों की सूची देखे तो सैकडों की संख्या में तस्करों को गरियाबंद और सीमावर्ती धमतरी, महासमुंद की पुलिस ने गिरफ्तार कर उनसे हजारों के हीरा पत्थर जब्त कर जेल के सलाखों के पीछे भेजा गया है। इसकी अनुमानित कीमती 8-10 करोड से ज्यादा बताई जाती है। इनते बड़े पैमाने में हीरा तस्करों को पुलिस ने पकड़कर जेल भेजा है। क्षेत्र की जनता हीरा खदान की सरकारी दोहन चाहती है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के साथ रहवासियों को उम्मीद जगी है कि अब जल्द हीरा खदान मामले में सरकार कोई ठोस निर्णय लेगी। राज्य और केन्द्र में भाजपा की सरकार होने से हीरा खदान मामला के समाधान होने की उम्मीद है।
भू वैज्ञानिकों का माने तो इस हीरा खदान में इतना हीरा का भंडार है कि पूरे प्रदेश का आने वाले 20 वर्षों का बजट इस हीरा खदान से पूरा किया जा सकता है। राज्य के विकास और इस आदिवासी क्षेत्र के पिछड़ेपान को दूर करने के लिए हीरा खदान की सरकारी तौर पर दोहन करने की मांग क्षेत्र की जनता ने किया है।
गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर के अंतर्गत पायलीखंड एवं बेहराडीह के हीरा (डायमंड) खदानों का पता प्रशासन को लगभग 36-37 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में लगा था। तब से आज तक इलाके में हीरा तस्करी का लम्बे समय से व्यापार चल रहा है तब हीरा खदानो के मामले को संज्ञान लेते हुए तत्कालिन मुख्यमंत्री दिग्वीजय सिंह के निर्देश पर पायलीखण्ड एवं बेहराडीह जंगल पर हीरा मिलने वाले एक बड़े हिस्से को तार के बाड़ों से घेर कर सुरक्षित किए किया गया था। पायलीखंड के हीरा खदानो की सुरक्षा के लिए बीएसएफ की कंपनी तैनात किया गया था और खनिज विभाग ने बकायदा चौकीदार नियुक्त किया था मगर इसकी सुरक्षा पिछले कुछ वर्षो से भगवान भरोसे है।
वर्ष 2006-07 मे नक्सलियों के दबाव बढने के बाद पायलीखंड हीरा खदान से बीएसएफ को खदान की सुरक्षा से वापस बुला लिया गया तो वहीं बेहराडीह हीरा खदान की सुरक्षा से वन विभाग ने हाथ खड़ा कर दिया। तब से हीरा खदान की सुरक्षा पूरी तरह से भगवान के भरोसे है। सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां स्थिति यह बन गई है लूट सके तो लूट। यहां ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र सीमावर्ती राजस्थान के व्यापारियों द्वारा आकर इस क्षेत्र से हीरा तस्करी कर ले जाते है।