दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर विधि-विधान से पूजा की जाती है, लेकिन सवाल यह है कि नई मूर्ति की पूजा के बाद पुरानी मूर्ति का क्या करना चाहिए? कार्तिक अमावस्या पर दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली में हर साल मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति लाकर पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के बाद मूर्ति पूरे साल पूजास्थल पर स्थापित रहती है और अगले वर्ष फिर से नई मूर्ति लाकर पूजा होती है, लेकिन पिछले साल दिवाली पर जो लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लाकर पूजा की थी, उसका क्या करना चाहिए।
अगर मूर्ति सोना-चांदी या किसी पीतल जैसे धातुओं की है तो हर साल नई मूर्ति में पूजा करना जरूरी नहीं है, बल्कि पुरानी मूर्ति को गंगाजल शुद्ध करके पूजा की जाती है। अगर मूर्तियां मिट्टी की हो तो दिवाली पर हर साल नई मूर्ति में पूजा होती है। मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की पुरानी मूर्तियों की पूजा आप दिवाली के दिन भी जरूर करें। इसके बाद नई मूर्ति को उसी स्थान पर रखें, जहां आप पुरानी मूर्तियों को रखते थे और पुरानी मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।
इको फ्रेंडली मूर्ति हो तो घर पर किसी बाल्टी या टब में पानी भरकर भी मूर्ति का विसर्जन कर सकते हैं। इससे धीरे-धीरे मूर्ति प्राकृतिक रूप से पानी में घुल जाएगी। मूर्ति के घुलने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें। मूर्तियों का विसर्जन करने के लिए सोमवार का दिन अच्छा होता है। मंगलवार को विसर्जन नहीं करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद भी मूर्ति विसर्जन न करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि पुरानी मूर्तियों को गंदगी वाले स्थान या किसी पेड़ के नीचे रखने से बचें।