रायपुर। छत्तीसगढ़ में मार्च में ही भीषण गर्मी को देखते हुए 55 लाख विद्यार्थियों को बचाने की एडवाइजरी बनाई है। इस पर तीन स्तरों प्रशासन, शाला एवं पारिवारिक स्तर अमल में लाने को कहा गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने शालाओं को टीनशेड, पेड़ और एसबेस्टस शीट के नीचे नहीं लगाने के सख्त निर्देश दिए हैं। अब स्कूल आते ही सबसे पहले बच्चे से पूछा जाएगा कि पिछले 8-10 घंटों में उसे उल्टी-दस्त, बुखार, शरीर में दर्द आदि की परेशानी तो नहीं हुई। यदि ऐसा है तत्काल अभिभावक को सूचना देकर उनकी देखरेख या डॉक्टर के पास भेजा जाएगा। प्रदेश में भविष्य में और तापमान बढ़ने की संभावना को लेकर मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम के अनुसार गर्मी से बचाव की एडवाइजरी का पालन कराने सभी डीईओ को इस आपदा प्रबंधन का नोडल अधिकारी बनाया गया है। दरअसल, राज्य में ग्रीष्मकालीन अवकाश में कटौती कर कुछ और दिनों तक कक्षाएं लगाए जाने का निर्देश हैं। इस वजह से परिवार स्तर पर किए जाने वाले कार्यों की जानकारियां को बच्चों को कॉपी में नोट करवाकर उनके अभिभावकों से हस्ताक्षर करवाने, सभी घरों तक संदेश पहुंचाया जा रहा है। इसे बनाने में यूनिसेफ के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ का सहयोग भी लिया गया है।
जान जोखिम में पड़ सकती है
राज्य में गर्मी को लेकर मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानसून कमजोर रहेगा और गर्मी ज्यादा पड़ेगी। कम वर्षा के कारण वातावरण में सामान्य नमी में भी कमी आएगी। मौसम शुष्क रहने की भी संभावना होगी। परिणाम स्वरूप गरम हवाओं या लू चलने की पूरी संभावना होगी। ऐसे में शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों विशेष जोखिम में पड़ सकते हैं, जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। गरम हवाओं व लू लगने के सामान्य लक्षण के रूप में उल्टी या दस्त या दोनों का होना पाया जाता है। अत्यधिक प्यास लगने लगती है। तेज बुखार आ सकता है। कभी-कभी मूर्छा भी आ सकती है। इसके लिए पूर्व तैयारी, लोगों में जागरूकता एवं बचाव के उपायों को जानकर ही जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। इन तैयारियों को तीन स्तरों में बांटा गया है।