- परमारकालीन इस मंदिर में हैं प्राचीन कुंड, स्कंदपुराण में मिलता है उल्लेख
उज्जैन, (अशोक महावर)। शहर में ऐसे कई प्रसिद्ध देवी मंदिर हैं, जिनका उल्लेख पुराणों में तो मिलता ही है, वहीं सम्राट विक्रमादित्य काल में भी इन मंदिरों का विशेष महत्व आंका गया है। इन्हीं में से एक है नगर कोट माता का मंदिर। स्कंद पुराण के अवंतिका क्षेत्र महात्म्य में इसका उल्लेख मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार चौबीस देवियों में से नगर कोट माता मंदिर भी एक है। गोरधन सागर के पास स्थित मंदिर में माता की मूर्ति भव्य और मनोहारी है। यह स्थान नगर के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित है।
परकोटे विराजित रक्षिका देवी
एक अन्य जानकारी के अनुसार नगरकोट के परकोटे की रक्षिका देवी हैं नगर कोट की माता। मंदिर परमारकालीन माना जाता है, वहीं स्कंद पुराण के अवंतिखंड में वर्णित नौ मातिृकाओं में से सातवीं देवी नगर कोट की माता हैं। इस मंदिर में हर दिन या विशेष अवसरों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, नवरात्र में यहां सुबह से लेकर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। सुबह और शाम के समय भव्य आरती होती है तो नगाड़ों, घंटियों की गूंज से वातावरण आच्छादित हो उठता है। भक्तों की मनोकामना पूरी होती है तथा माता के दर्शन से श्रद्धालु अभिभूत हो जाते हैं।
यहां बना है प्राचीन कुंड
मंदिर परिसर में प्राचीन कुंड भी है, जो काफी गहरा है। पुजारी ने बताया कि इस कुंड के जल से ही देवी का अभिषेक पूजन किया जाता है। साथ ही परिसर में अन्य देवताओं के मंदिर भी मौजूद हैं।