भारतीय पेमेंट गेटवे ‘रुपे” की लोकप्रियता से वीजा इंडस्ट्रीज घबरा गई है। उसने अमेरिकी सरकार से शिकायत की है कि भारत सरकार उसकी स्पर्धी कंपनी रुपे का औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से प्रचार कर रही है, जिससे उसे अपने प्रमुख बाजार भारत में बड़ा नुकसान हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘रुपे” को बढ़ावा देने से भुगतान बाजार में वीजा और मास्टरकार्ड की चुनौतियां बढ़ रही हैं।
पिछले वर्ष नवंबर तक देश के 95.2 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड में रुपे की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो वर्ष 2017 में सिर्फ 15 प्रतिशत थी।
वैसे तो रुपे की बढ़ती लोकप्रियता से से वीजा ने अभी तक सार्वजनिक तौर पर कोई परेशानी जाहिर नहीं की है, लेकिन वीजा ने नौ अगस्त को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई और सीईओ अल्फ्रेड केली सहित कंपनी के अधिकारियों के बीच एक बैठक के दौरान भारत में व्यापार के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं होने पर चिंता जताई थी।
अमेरिका की एक अन्य पेमेंट गेटवे दिग्गज कंपनी मास्टरकार्ड ने भी निजी तौर पर यूएसटीआर के समक्ष इसी तरह की चिंता जाहिर की है। कंपनी ने वर्ष 2018 में यूएसटीआर के समक्ष यह कहते हुए विरोध दर्ज कराया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘रूपे” को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रवाद का उपयोग कर रहे हैं। बैठक से पहले ताई के लिए यूएसटीआर द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज में कहा गया है कि नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ) के पक्ष में भारत द्वारा अपनाई जा रही नीतियों को लेकर वीजा चिंतित है। एनपीसीआइ एक गैर-लाभकारी कंपनी है और यह रुपे का संचालन करती है।