
बिना हेलमेट पहने मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर सफर करना उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 23 वर्षीय गर्भवती महिला को भारी पड़ा। मस्तिष्क की गंभीर चोट के कारण वह कोमा की स्थिति में पहुंच गईं, लेकिन कोख में पल रहा शिशु सुरक्षित रहा। एम्स के ट्रामा सेंटर में मस्तिष्क की चार बड़ी सर्जरी झेलने के बाद सात माह से बेहोशी की स्थिति में पड़ी महिला ने पिछले दिनों बच्ची को जन्म दिया। नवजात पूरी तरह स्वस्थ है। प्रसव सामान्य हुआ है।
एम्स के डाक्टरों ने बताया कि 31 मार्च को बुलंदशहर में महिला पति के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर कहीं जा रही थी। उनका बुर्का बाइक के पहिये में फंस गया। हेलमेट नहीं पहने होने के कारण मष्तिस्क में गंभीर चोट लग गई। उस समय वे छह सप्ताह की गर्भवती थीं। अगले दिन उन्हें दिल्ली के एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया। वह बेहोश थीं। ठीक से सांस भी नहीं ले पा रही थीं। इस वजह से डाक्टरों ने वेंटिलेटर सपोर्ट दिया। इसके अगले दिन डाक्टरों ने मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्से की सर्जरी की। इसके चार सप्ताह बाद दूसरी सर्जरी हुई। स्वास्थ्य में सुधार होने पर डाक्टरों ने वेंटिलेटर सपोर्ट हटाया। डाक्टर बताते हैं कि एक अप्रैल से मई के बीच ट्रामा सेंटर में उनकी चार सर्जरी हुई।
स्त्री रोग विभाग के डाक्टरों ने भी महिला की स्वास्थ्य जांच की। पाया कि गर्भस्थ शिशु सुरक्षित है। 18वें सप्ताह की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भी गर्भस्थ शिशु का विकास सही पाया गया। इसके मद्देनजर डाक्टरों ने महिला के पति पर यह फैसला छोड़ा कि बच्चे को रखना है या फिर गर्भपात कराना है। पति ने प्रसव कराने का फैसला किया। गर्भावस्था के साढ़े आठ माह बाद 20 अक्टूबर को महिला ने बच्ची को जन्म दिया। डाक्टरों के अनुसार उनकी चेतना पूरी रह वापस नहीं आई है। इस वजह से वह अचेत अवस्था में ही हैं। आंखें खोलती हैं, लेकिन किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं देतीं। इस वजह से बच्ची को बोतल से दूध पिलाना पड़ता है। महिला के पति चालक की नौकरी करते थे। पत्नी की देखभाल के कारण अभी नौकरी भी छूट गई है।